For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चन्दा मामा! हम बच्चों से (बालगीत) - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

रूठे हो बहनों से या फिर,  मद में अपने चूर बताओ।
चन्दा मामा! हम बच्चों से, क्यों हो इतने दूर बताओ।।
*
जल भरकर थाली में माता, हमको तुमसे भले मिलाती।
किन्तु काल्पनिक भेंट हमें ये, थोड़ा भी तो नहीं सुहाती।।
हम बच्चों की इच्छा खेलें, यूँ नित चढ़कर गोद तुम्हारी।
लेकिन तुमको भला बताओ, कब आती है याद हमारी।।
*
कौन काम से निशिदिन इतने, हो जाते मजबूर बताओ।
चन्दा मामा! हम  बच्चों  से, क्यों  हो  इतने दूर बताओ।।
*
हमको भी तुम जैसा भाता, ये लुका छिपी का खेल बहुत।
हम में तुम  में  चंचलता  का, माता  कहती  है मेल बहुत।।
रूप बदलने का  कौशल  है, माना  बढ़चढ़ पास तुम्हारे।
लेकिन समझे कभी नहीं हो, मन भावों को तनिक हमारे।।
*
मनोविज्ञानी  होना  था  पर, बन  बैठे  मजदूर  बताओ।
चन्दा मामा! हम बच्चों  से, क्यों  हो  इतने दूर बताओ।।
*
यूँ तो हमको नित्य चिढ़ाते, विविध रूप का बदल पजामा।
छुट्टी कर  हर  मास  कहाँ  तुम, चले  अकेले  चन्दा मामा।।
डपट सुनो जब नभ नाना की, हँस देते हो यूँ खिसियाकर।
रगड़ चाँदनी में  फिर  तन  को, धीरे-धीरे  सम्मुख आकर।।
*
केवल एक निशा में हम को , रूप दिखा भरपूर बताओ।
चन्दा मामा! हम  बच्चों  से, क्यों  हो  इतने दूर बताओ।।
*
मेघों की लहरों पर तिरते, बनकर सुन्दर नाव तुम्हीं हो।
किन्तु प्रशंसा पाकर थोड़ा, बढ़चढ़ खाते भाव तुम्हीं हो।।
घटते बढ़ते तुम्हें देखने, पलपल रहती अँखियाँ प्यासी।
जब तुम दिखते नहीं एक दिन, हमें घेरती बहुत उदासी।।
*
एक निशा को सहज चुराता, कौन तुम्हारा नूर बताओ।।
चन्दा मामा! हम  बच्चों  से, क्यों  हो इतने दूर बताओ।।
*
कभी मिठाई खील बताशे, तुम से हम ने नहीं माँगने।
यही सोचकर दूर हमेशा, लगते हो क्या कहो भागने।।
चन्दा मामा! आओ घर  भी, झिलमिल तारों साथ कभी।
कुछ तारों को मान खिलौना, तुम रखो हमारे हाथ कभी।।
*
नहीं निभाया कभी एक भी, क्यों तुमने दस्तूर बताओ।
चन्दा मामा! हम बच्चों  से, क्यों  हो इतने दूर बताओ।।

मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 268

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 8, 2023 at 7:31pm

आ . भाई समर जी सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।

Comment by Samar kabeer on February 8, 2023 at 7:04pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, अच्छा बाल गीत लिखा आपने, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी हुई। बाहर भी निकल दैर-ओ-हरम से कभी अपने भूखे को किसी रोटी खिलाने के लिए आ. दूसरी…"
3 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी निबाही है आपने। मेरे विचार:  भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आ इन्सान को इन्सान…"
16 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"221 1221 1221 122 1 मुझसे है अगर प्यार जताने के लिए आ।वादे जो किए तू ने निभाने के लिए…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आपने ठीक ध्यान दिलाया. ख़ुद के लिए ही है. यह त्रुटी इसलिए हुई कि मैंने पहले…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश जी, आपकी प्रस्तुति का आध्यात्मिक पहलू प्रशंसनीय है.  अलबत्ता, ’तू ख़ुद लिए…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलकराज जी की विस्तृत विवेचना के बाद कहने को कुछ नहीं रह जाता. सो, प्रस्तुति के लिए हार्दिक…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"  ख़्वाहिश ये नहीं मुझको रिझाने के लिए आ   बीमार को तो देख के जाने के लिए आ   परदेस…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी बहुत सुंदर यथार्थवादी सृजन हुआ है । हार्दिक बधाई सर"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद आ. चेतन प्रकाश जी..ख़ुर्शीद (सूरज) ..उगता है अत: मेरा शब्द चयन सहीह है.भूखे को किसी ही…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मतला बहुत खूबसूरत हुआ,  आदरणीय भाई,  नीलेश ' नूर! दूसरा शे'र भी कुछ कम नहीं…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
". तू है तो तेरा जलवा दिखाने के लिए आ नफ़रत को ख़ुदाया! तू मिटाने के लिए आ. . ज़ुल्मत ने किया घर तेरे…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. लक्ष्मण जी,मतला भरपूर हुआ है .. जिसके लिए बधाई.अन्य शेर थोडा बहुत पुनरीक्षण मांग रहे…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service