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अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

2122  2122   2122   212

कौन सी मंज़िल पे ये रस्ता नया ले जाएगा।
मुझको लगता है ये मेरा हौसला ले जाएगा।

ऐ फरेबी वक़्त मुझको हर सितम तेरा कुबूल,
मेरी साँसों से अधिक तू मेरा क्या ले जाएगा।

ये अँधेरा युग तो इक दिन बीत जाएगा मगर,
कीमती मौसम हमारी उम्र का ले जाएगा।

इससे पहले वक़्त अपनी चाल चल दे डाकिये,
उससे कहना मेरे होने का पता ले जाएगा।

टूट जाएगा मेरी उम्मीद का सच जानकर,
मेरी ग़ज़लों को कुरेदा तो खला ले जाएगा।

रास्ता उसको यकीनन साफ आएगा नज़र,
मेरे लिक्खे आखिरी खत का धुँआ ले जाएगा।

अब सदा मेरी तो मालिक तक नहीं जाती मगर,
कौन है जो मेरे ग़म का तर्जुमा ले जाएगा?

चिलमिलाती धूप,उड़ती धूप और बहके कदम,
किस नगर में हमको अब ये रास्ता ले जाएगा।

तुम सुना देना किताबों में पढ़ी बातें उसे,
और ये 'अहसास' उसका ही दिया(लिखा) ले जाएगा।

मौलिक और अप्रकाशित

।।

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Comment by मनोज अहसास on January 21, 2023 at 1:09pm

आदरणीय समर साहब हार्दिक आभार

Comment by Samar kabeer on January 21, 2023 at 11:46am

//इस मिसरे में मैनें खला का अर्थ रिक्त स्थान से लिया है//

रिक्त स्थान को "ख़ला" कहते हैं, 'खला' नहीं ।

//इस बारे में थोड़ा और बताने की कृपा करें//

'तर्जुमा' का अर्थ है 'अनुवाद' और अनुवाद किया जाता है, ले जाया नहीं जाता ।

Comment by मनोज अहसास on January 20, 2023 at 8:05pm

आदरणीय  तपन साहब हार्दिक आभार

सादर

Comment by मनोज अहसास on January 20, 2023 at 8:05pm

आदरणीय समर कबीर साहब सादर प्रणाम जवाब देने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ ग़ज़ल पर आपकी बहुमूल्य इस्लाह का हार्दिक शुक्रिया

' मेरी ग़ज़लों को कुरेदा तो खला ले जाएगा'

इस मिसरे में 'खला' का क्या अर्थ है? 

इस मिसरे में मैनें खला का अर्थ रिक्त स्थान से लिया है

'मेरे लिक्खे आखिरी खत का धुँआ ले जाएगा'

इस मिसरे में क़ाफ़िया दोष है सहीह शब्द है "धुआँ''

जी ये भूल हो गई शेर बचाने के लिए कुछ उपाय सोचता हूँ

'कौन है जो मेरे ग़म का तर्जुमा ले जाएगा'

इस मिसरे में क़ाफ़िया काम नहीं कर रहा है,देखें ।

इस बारे में थोड़ा और बताने की कृपा करें बड़ी मेहरबानी होगी

सादर आभार

Comment by Tapan Dubey on January 16, 2023 at 4:39pm

वाह वाह मनोज भाई बहुत खूब। बधाई।

Comment by Samar kabeer on December 30, 2022 at 2:41pm

जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

' मेरी ग़ज़लों को कुरेदा तो खला ले जाएगा'

इस मिसरे में 'खला' का क्या अर्थ है?

'मेरे लिक्खे आखिरी खत का धुँआ ले जाएगा'

इस मिसरे में क़ाफ़िया दोष है सहीह शब्द है "धुआँ''

'कौन है जो मेरे ग़म का तर्जुमा ले जाएगा'

इस मिसरे में क़ाफ़िया काम नहीं कर रहा है,देखें ।

उर्दू शब्द बिना नुक़्ते के आपकी अज्ञानता दर्शा रहे हैं, इस पर ख़ास ध्यान देने की ज़रूरत है ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 28, 2022 at 7:00pm

अच्छी ग़ज़ल कही भाई मनोज जी...बधाई

Comment by मनोज अहसास on December 26, 2022 at 10:43pm

बहुत-बहुत आभार आदरणीय zaif साहब

सादर

Comment by मनोज अहसास on December 26, 2022 at 10:42pm

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी सादर आपने गलती की और ध्यान दिला दिया बहुत-बहुत आभार

Comment by Zaif on December 26, 2022 at 9:23pm

बहुत ख़ूब, आदरणीय।

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