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मनोज अहसास's Blog (138)

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

1222×4

ज़रा सा और मैं दुनिया के ग़म में चूर हो जाता

हमारे बीच का ये फासला भरपूर हो जाता

मैं जैसे रोज जलता हूँ तेरी यादों की बारिश में

किसी दिन तू भी मुझसे मिलने को मजबूर हो जाता

मैं अपने आप से लड़कर भी अक्सर हार जाता हूँ

ज़माने से अगर लड़ता तो चकनाचूर हो जाता

इसी डर ने मुझे तुझ तक पहुँचने से सदा रोका

मेरे साये से तेरा नाम ही बेनूर हो जाता

तेरी बातें बहुत दिन बाद इक हमदर्द से की तो

मुझे…

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Added by मनोज अहसास on March 17, 2023 at 11:16pm — No Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

2×15

एक ताज़ा ग़ज़ल

टुकड़े टुकड़े में दिन बीता और पहाड़ सी रात कटी।

तेरी उल्फत में जाने जां ज़ीस्त यूँ ही बेबात कटी।

तूने छीन के अँधियारों से मुझको दिया नया जीवन,

तू क्या जाने फिर तेरे बिन कैसे ये सौगात कटी।

इस दुनिया की सबसे पुरानी शर्त है उपयोगी होना ,

उसका मर जाना बेहतर है जिस घोड़े की लात कटी।

चाहत के दो कतरे पीकर जीवन भर सुलगा जीवन,

खुद को लम्हा लम्हा जलाके ये तेरी खैरात कटी।

कैद कर लिया है खुद को बस…

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Added by मनोज अहसास on January 28, 2023 at 11:25pm — 2 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

221 2121 1221 212

मुश्किल में अपने इश्क़ की यूँ देखभाल कर।

अपने कहे का ,अपने लिखे का ख़्याल कर।

महसूस हो न दिल मे कभी उसकी याद तो,

अपने ज़मीर को जगा के सौ सवाल कर।

इक तरफा प्यार फिर भी बहुत कामयाब है,

खुद में ही उलझे रहना है सिक्के उछाल कर।

हम ही नहीं थे आपकी महफ़िल की रौशनी,

अच्छा किया है आपने दिल से निकाल कर।

ये चार दिन की बात तो मेरे लिए थी बस,

तू चाँदनी को रखना हमेशा संभाल कर।

कुदरत के…

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Added by मनोज अहसास on January 22, 2023 at 12:06am — 5 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

12122   12122   12122    12122

तेरे ख्यालों के अंजुमन में हज़ार पहरे लगे हुए हैं

सजाये कैसे ग़ज़ल का दामन गुनाहों में हम रंगे गए हैं

हमारे जैसा उदास कोई हमें कहीं भी नहीं मिला पर

हमारे दुख से बड़े बहुत दुख ज़माने भर में भरे पड़े हैं

कभी नहीं वो कहेंगे हमसे के उनके दिल में है प्यार अब भी

सकार को भी जिया था हमने नकार को भी समझ रहे हैं

ये ज़िन्दगी की उदास खुशबू जो बस गयी है मेरी रगों में

ज़रा सा खुश हूँ मैं इसमें क्योंकि तुम्हारें…

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Added by मनोज अहसास on January 20, 2023 at 8:00pm — 3 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

2122  2122   2122   212

कौन सी मंज़िल पे ये रस्ता नया ले जाएगा।

मुझको लगता है ये मेरा हौसला ले जाएगा।

ऐ फरेबी वक़्त मुझको हर सितम तेरा कुबूल,

मेरी साँसों से अधिक तू मेरा क्या ले जाएगा।

ये अँधेरा युग तो इक दिन बीत जाएगा मगर,

कीमती मौसम हमारी उम्र का ले जाएगा।

इससे पहले वक़्त अपनी चाल चल दे डाकिये,

उससे कहना मेरे होने का पता ले जाएगा।

टूट जाएगा मेरी उम्मीद का सच जानकर,

मेरी ग़ज़लों को कुरेदा तो…

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Added by मनोज अहसास on December 26, 2022 at 12:15am — 11 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

2122    2122     2122     212

पीर को,अनुराग को, पछतावे को, संताप को।

छोड़कर कैसे चलूँ, मुश्किल में,अपने आप को।

मन घिरा है वासना में,और मर्यादा में तन,

अर छुपाना भी कठिन है,उबले जल की भाप को

अब यहाँ से वापसी का रास्ता कोई नहीं,

मुश्किलों से पँहुचे हो,समझाओ अपने आपको।

मेघ ऐसे घिर गए हैं सूर्य धूमिल हो गया,

कामनाओं की नदी पर चाहती है ताप को।

हमको खुद को दर्द देने के बहाने चाहिए,

सौ सबब*…

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Added by मनोज अहसास on November 25, 2022 at 5:14pm — 6 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

221   2121    1221    212

बेहद ज़रूरी है तू सभी को बिसार कर,

कुछ रोज अपने आप से जी भर के प्यार कर।

उलझन हो तेरी खत्म, मेरा दर्द भी मिटे,

इक बार मेरे दिल पे ज़रा दिल से वार कर।

कुछ फासले अधूरे हैं अब भी हमारे बीच,

इतना सफर इक दूसरे के बिन गुजार कर।

लगता है मैं भी मतलबी सा हो गया हूँ अब

सारी उमर की ख्वाहिशें दिल में ही मार कर।

अहसान भी हो जाएगा और दाम भी अलग

इस दौर में तू सोच समझ कर उधार…

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Added by मनोज अहसास on November 2, 2022 at 11:06pm — 4 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

221   2121   1221   212



कल रात तेरे शहर से गुज़रे तमाम रात।

ख़्वाबों में हमने देखे वो रस्ते तमाम रात।

मायूसी औ थकन के सिवा कुछ नहीं मिला,

बोझिल सहर की आस में जागे तमाम रात।

जलती ज़मीं की प्यास बुझाने के वास्ते,

तारे फ़लक की गोद में रोये तमाम रात।

अब मिल रही है हमको सज़ा हर गुनाह की,

ख़त तुझको एक उम्र लिखे थे तमाम रात।

मैं शायरी को छोड़के भी खुश न रह सका,

मिसरे महीनों आँखों में तड़पे तमाम…

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Added by मनोज अहसास on August 21, 2022 at 11:00pm — 8 Comments

अहसास की ग़ज़ल::; मनोज अहसास

2122    2122     2122     212

है तेरे दम से ही रौशन मेरे जीवन की बहार।

तू नहीं तो ज़िन्दगी में मिल नहीं सकता करार।

पास तेरे रहने का हासिल नहीं है वक़्त पर ,

मेरी साँसों में बसा है तेरी साँसों का खुमार।

ज़िन्दगी की उलझनों से तंग आ जाता हूँ जब,

याद आ जाता है मुझको तब तेरी बाहों का हार।

हर घड़ी तेरी कमी महसूस होती है यहाँ,

ये पराया शहर मुझको तोड़ता है बार बार।

फासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था,

है सफर इक रात का…

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Added by मनोज अहसास on May 10, 2022 at 10:30pm — 3 Comments

अहसास की ग़ज़ल::; मनोज अहसास

नज़र में उलझन भरी हुई है, तमाम रस्ते उजड़ गये हैं ।

सँभलना जितना भी हमने चाहा, हम उतने ज्यादा बुरे गिरे हैं।

हमारे जैसा उदास कोई, हमें कहीं भी नहीं मिला पर,

हमारे दुख से बड़े बहुत दुख ज़माने भर में भरे पड़े हैं।

कभी नहीं वो कहेंगे हमसे, के उनके दिल में है प्यार अब भी,

सकार को भी जिया था हमने नकार को भी समझ रहे हैं।

ये ज़िन्दगी की उदास खुशबू ,जो बस गयी है मेरी रगों में,

ज़रा सा खुश हूँ मैं इसमें क्योंकि तुम्हारें ग़म भी सजे हुए…

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Added by मनोज अहसास on April 28, 2022 at 5:38pm — 6 Comments

अहसास की ग़ज़ल::; मनोज अहसास

2×15

दूर कहीं पर धुंआ उठा था दम घुटता था मेरा भी

ख़्वाब में मैंने देख लिया था दिल सुलगा था मेरा भी

एक अदद मिसरा जो दिल से निकले और पहुँचे दिल तक

हर सच्चे शाइर की तरहा ये सपना था मेरा भी

टुकड़े टुकड़े दिल है पर मरने की चाह नहीं होती

तेरे अहसानों के बदले इक वादा था मेरा भी

मेरी आँखों की लाचारी तुम भी समझ नहीं पाए

खारे पानी के दरिया में कुछ हिस्सा था मेरा भी

दिल को यही दिलासा देकर काट रहा हूँ तन्हाई

इस मिट्टी के…

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Added by मनोज अहसास on March 29, 2022 at 12:18am — 6 Comments

अहसास की ग़ज़ल : मनोज अहसास

2122     2122      2122      212

वक्त इतना भी कठिन कब है,ज़रा महसूस कर।

एक रोशन दिन की ये शब है,ज़रा महसूस कर।

खुद को तन्हा कहना तेरी भूल है, इतना समझ

हर कदम साथी तेरा रब है,ज़रा महसूस कर।

मिल ही जाएगी तेरी मंज़िल अगर चलता रहा

रास्ता थोड़ा सा ही अब है,ज़रा महसूस कर।

तू नहीं पहला बशर है ठोकरों की चोट में,

सालों से चलने का ये ढब है ज़रा महसूस कर।

बेबसी, मायूसियाँ,नाक़ामियाँ, रुसवाईयाँ,

जिंदगी की ये ही तो…

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Added by मनोज अहसास on January 26, 2022 at 11:00pm — 2 Comments

अहसास की ग़ज़ल : मनोज अहसास

2122   2122    2122    212

बिन मेरे जब दिल तुम्हारा जीने के काबिल हुआ।

देख ले मझधार ही मेरे लिए साहिल हुआ।

जो नहीं है पास अपने उसकी बेचैनी के साथ,

उसको जाया कर दिया है जो हमें हासिल हुआ।

सामने आकर खड़ी हो जाती हैं सूरत कईं,

खुद में खुद को खोजना मेरे लिए मुश्किल हुआ।

कह नहीं पाया मैं अपने दिल की सारी बात पर,

तू मेरी ग़ज़लों में लगभग हर दफा शामिल हुआ।

वेदनाओं के सफर में साथ है तू हर घड़ी,

और तेरा…

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Added by मनोज अहसास on September 2, 2021 at 11:51pm — 3 Comments

अहसास की ग़ज़ल : मनोज अहसास

1222    1222     1222     1222

चलो अच्छा हुआ वो अब पता पाने नहीं आते ।

खलिश ये रह गई दिल में सितम ढाने नहीं आते।

मुझे उस पार के लोगों से बस इतनी शिकायत है,

सफर कैसा रहा वो ये भी बतलाने नहीं आते।

तमाशा बन गई है दोस्ती नफरत की दुनिया में,

पुराने यार भी मुश्किल में समझाने नहीं आते।

हमारी बात तो दिलकश तुम्हें लग ही नहीं सकती,

हमें तहज़ीब तो आती है अफसाने नहीं आते ।

झुलस जाती है मेरी सोच अनचाहे ख्यालों से…

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Added by मनोज अहसास on August 24, 2021 at 11:47pm — 3 Comments

अहसास की ग़ज़ल : मनोज अहसास

221    2121    1221     212

वो सिलसिला मिला ही नहीं जो जुड़ा रहे।

हम सबके होके दोस्तो सबसे जुदा रहे।

दीवारें आंधियों का असर सह रही है पर,

ये देखना है घर मेरा कब तक खड़ा रहे।

टुकड़े तुम्हारी याद के दिल में समेटकर,

सारे जहां के रिश्तों से हम बावफ़ा रहे।

बचपन से ही उदास रही है मेरी नज़र,

दो चार रोज साथ तेरे खुशनुमा रहे।

तेरे क़रीब कौन है इसका मलाल क्या,

मेरे लबों पर बस तेरे हक़ में दुआ…

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Added by मनोज अहसास on July 25, 2021 at 11:35pm — 2 Comments

अहसास की ग़ज़ल : मनोज अहसास

1222    1222    122

खबर झूठी उड़ाना चाहता हूँ,

तेरी यादें छुपाना चाहता हूँ।

तुम्हारे पास थोड़ा वक्त हो तो,

मैं हाले दिल सुनाना चाहता हूँ।

रकीबों की गली में आ गया हूँ,

तेरे घर में ठिकाना चाहता हूँ।

जो मेरी जान के दुश्मन बने हैं,

उन्हीं के हाथ आना चाहता हूँ।

बवंडर क्यों उठा है सरहदों पर,

मैं सबको सच बताना चाहता हूँ।

सियासत ,घर के झगड़े, दिल की बातें

मैं सब से दूर जाना…

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Added by मनोज अहसास on July 3, 2021 at 8:39pm — 2 Comments

अहसास की ग़ज़ल : मनोज अहसास

ग़ज़ल-221 1222 22 221 1222 22

इस बहर में मेरी ये पहली ग़ज़ल है यह मतला लगभग 2 वर्ष पहले हुआ था लेकिन यह ग़ज़ल पूरी नहीं हो रही थी इसका कारण यह है कि मैं इस बहर में सहज महसूस नहीं कर रहा था यह बहर मेरी समझ में ही नहीं आ रही आज किसी तरह यह पूरी हुई है जानकार लोग बताएं कि क्या यह बहर ठीक से निभाई गई है या नहीं....

मरने का बहाना मिल जाता, जीने की सज़ा से बच जाते,

इक बार कभी वो आ जाते जो आ न सके आते आते ।

महसूस कभी होता कैसे वो दर्द का रिश्ता टूट गया…

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Added by मनोज अहसास on July 3, 2021 at 12:06am — 7 Comments

अहसास की ग़ज़ल : मनोज अहसास

2×15

वक़्त गुज़र जाएगा ये भी पल पल का घबराना क्या?

जो आँखों में ठहर न पाये उन सपनों से रिश्ता क्या?

अपनी मर्ज़ी का जीवन हो ज्यादा हो या थोड़ा हो,

मरना तो सबको है इक दिन घुट घुट कर फिर जीना क्या?

सोच समझ कर कदम बढ़ाना हर रस्ते पर धोखा है,

घर के किस्से,देश की बातें ,दीन धर्म का झगड़ा क्या?

पहली दफा जब मिले थे तुमसे वो दिन तो अब याद नहीं,

लेकिन अब तक सोच रहे हैं टूट गया वो रिश्ता क्या?

सबका भला करने की कोशिश कभी नहीं…

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Added by मनोज अहसास on June 29, 2021 at 12:40am — No Comments

अहसास की ग़ज़ल : मनोज अहसास

2×11

बदहाली का एक समंदर सर पर है।

शहर की हालत वीरानों से बदतर है।

जिद पर तो बेशक मैं भी आ सकता हूँ ,

लेकिन मुझको बात बिगड़ने का डर है।

जो आँखों की भाषा समझ नहीं पाते,

उन लोगों से कुछ ना कहना बेहतर है।

लूट लिया जिसने आपस के रिश्तों को,

तुम लोगों की आँखों मे वो रहबर है?

नीव हिलाकर चीख रहे हैं झूठे लोग,

उनके पास योजना सबसे बढ़कर है।

एक इमारत है बनने की कोशिश में,

उसकी खातिर मुश्किल…

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Added by मनोज अहसास on May 27, 2021 at 11:44pm — 8 Comments

अहसास की ग़ज़ल : मनोज अहसास

2122   2122   2122   212

इक न इक दिन आपसे जब सामना हो जाएगा ।

जो भरम दिल में बचा है खुद रिहा हो जाएगा ।

इतने बुत मौजूद है तेरे खुदा के भेष में,

सजदा करते-करते तू खुद से जुदा हो जाएगा ।

सब पुराने पेड़ों को गर काट दोगे तुम यूं ही,

घर सलामत भी रहा तो लापता हो जाएगा।

ढूंढना अब छोड़ दे उस तक पहुँच का रास्ता,

खुद को पाले तो तू खुद ही रास्ता हो जाएगा ।

छोड़ दूँ शेरों सुखन और तेरी यादों का सफर ,

ऐसा करने…

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Added by मनोज अहसास on April 8, 2021 at 12:14am — 3 Comments

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"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति, स्नेह एवं मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए आभार। "
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, क्या यह अब ठीक है ? जीवटता जो लिए कुटज सी, है वही समय से जीता ।हठी न जिसकी रही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, सादर आभार।"
yesterday

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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय."
yesterday

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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर"
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"बात तो उचित है. आप संशोधित रचना यहीं, इसी आयोजन में पोस्ट कर दें, आदरणीय."
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय."
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अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"लक्ष्मण भाई पिछले आयोजन में यही भूल मुझसे हुई थी। तो इस संबंध में थोड़ी जानकारी जुटाई थी। वो भी OBO…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन । छंदों पर उपस्थिति , सुझाव और मार्गदर्शन के लिए आभार।  ताटक…"
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