For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-138

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 138वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा जनाब नज़ीर अकबराबादी साहब की गजल से लिया गया है|

"जिस के ऊपर दो घड़ी हो मेहरबानी आप की"

  2122          2122        2122        212

फ़ाइलातुन    फ़ाइलातुन     फ़ाइलातुन     फ़ाइलुन

बह्र: बहरे रमल मुसमन महज़ूफ़

रदीफ़     : आप की

काफिया : आनी (निशानी, मानी, कहानी, जानी आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है. मुशायरे की शुरुआत दिनांक 28 दिसंबर दिन मंगलवार को हो जाएगी और दिनांक 29 दिसंबर दिन बुधवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 28 दिसंबर दिन मंगलवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन

बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

राणा प्रताप सिंह 

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 8744

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

एडिट करने में मुझे परेशानी हो रही है इसलिए यहां कमेंट में.......
उस्ताद मोहतरम समर कबीर साहब की ख़ूबसूरत इस्लाह के बाद.......

वज़्न - 2122 2122 2122 212

ये ग़ज़ल गोई है क्या बस मेहरबानी आपकी
नज़्म जिसमें करके गाएँ हम कहानी आपकी /1

इश्क़ के हर रंग में अब भी नज़र आते हैं आप
दिल से जाती ही नहीं वो दिल-सितानी* आपकी /2

यूँ तो हूँ मैं आपके हर इक फ़साने में मगर
नाम तक मेरा न लेगी ख़ुश-बयानी आपकी /3

ज़िंदगी मेरी ! मुझे ही ज़िंदगी कहते थे आप
ज़िंदगी बिन अब है ज़िंदा ज़िंदगानी आपकी /4

सबकी नज़रों से छुपा कर जो कभी दीं थीं हमें
अब भी है महफ़ूज़ वो हर इक निशानी आपकी /5

इक शजर ने जब बिछाए रास्तों पर बर्ग-ओ-गुल
याद आई फिर हमें वो गुल-फ़िशानी आपकी /6

ग़म-ज़दा होकर उठाए जब दुआ को अपने हाथ
बारहा मांगी है रब से शादमानी आपकी /7

हिज्र में भी आपके बिन आपकी मौजूदगी
ज़िंदगी की धूप में है साएमानी आपकी /8

आपकी हर आरज़ू गोया हमारी 'आरज़ू'
कब हुई मंजूर हमको सर-गिरानी* आपकी /9

गिरह
पुर-सुकूँ गुज़रेंगे उसकी ज़िंदगी के पल तमाम
"जिसके ऊपर दो घड़ी हो मेहरबानी आपकी"

मौलिक एवं अप्रकाशित

मुहतरमा, आदाब, अच्छी ग़ज़ल कही आपने! पर, मुझे लगता है मतले के सानी में 'करके' का समाधान अभी भी आपको तलाशना होगा! और, हां, चौथा शे'र भी आपकी नज़र ए सानी का मुन्तज़िर है! 

आदरणीया  Anjuman Mansury 'Arzoo' जी
सादर अभिवादन
बढ़िया तरही ग़ज़ल  कही  है आपने । हार्दिक बधाई स्वीकारें। गिरह का मिसरा ख़ूब हुआ है मुहतरमा ।

वाह आ बहुत खूब

ज़िन्दगानी की कहानी थी सुहानी आपकी
बाद मुद्दत याद आई वो कहानी आपकी

आपने पत्थर छुआ तो वो भी पानी हो गया
सब दुआयें आज भी है जीवेदानी आपकी

आपसे बढ़ कर यहाँ प्यारा हमारा कौन है
घर में झांका याद आई हर निशानी आपकी

आजकल यूँ तो हमें हर चीज हासिल हैं बहुत
ज़िन्दगी में चाहिये अब हुक्मरानी आपकी

हर किसी की आस ‘मेठानी’ सदा फलती यहाँ
जिस के ऊपर दो घड़ी हो मेहरबानी आपकी

मौलिक एवं अप्रकाशित
- दयाराम मेठानी

जनाब दयाराम मेठानी जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'सब दुआयें आज भी है जीवेदानी आपकी'

ये 'जीवेदानी' का क्या अर्थ है?

'आजकल यूँ तो हमें हर चीज हासिल हैं बहुत'

इस मिसरे में 'हैं' की जगह "है" और 'बहुत' की जगह "मगर" शब्द उचित होगा, ग़ौर करें ।

गिरह नहीं लगी ।

आदरणीय समर कबीर जी, सबसे पहले तो हार्दिक आभार आपका कि आपने मेरी रचना पर टिप्पणी की और सलाह भी दी है। आपने जीवेदानी का अर्थ पूछा है। दरअसल सही शब्द जीवदानी है जिसका अर्थ जीवन देने वाला होता है। टंकण त्रुटि से जीवदानी के बजाया जीवेदानी हो गया है।अब सुधार कैसे हो सकता है? कृपया बतायें।

जी, अब सुधार की कोई गुंजाइश नहीं !

वैसे "जीव दानी" किस भाषा का शब्द है,बताने का कष्ट करें ।

आदरणीय समर कबीर जी, जीवदानी हिन्दी भाषा का शब्द है। जीवन दायनी औषधियों को जीवदानी कहा जाता है। पृथ्वी को भी जीवदानी कहा जाता है क्योकि वह सभी जीवों के लिए जीवन दायिनी है।

बहुत धन्यवाद ।

आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।

आदरणीय दयाराम मेठानी जी बहुत अच्छी गजल हुई बधाइयां स्वीकार करें

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service