For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Anjuman Mansury 'Arzoo'
  • Female
  • chhindwara
  • India
Share on Facebook MySpace

Anjuman Mansury 'Arzoo''s Friends

  • Sheikh Shahzad Usmani
  • Samar kabeer

Anjuman Mansury 'Arzoo''s Groups

 

Anjuman Mansury 'Arzoo''s Page

Latest Activity

Anjuman Mansury 'Arzoo' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-156
"तूने हमारा जीना क्या मरना मुहाल कर दिया जी के तुझे मगर ऐ ज़ीस्त हम ने कमाल कर दिया /1 दिन के उजाले में इसे ज़ाए समझ न फेंकिए आगे सफ़र में रात है रखिए सँभाल कर दिया /2 तुमको मेरी वफ़ा पे शक ग़ैरों पे है यक़ीं तभी साथ निभाने का सिला घर से निकाल कर…"
Jun 24, 2023
Anjuman Mansury 'Arzoo' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-154
"आदरणीय अशोक गोयल साहब सादर नमस्ते, बेहतरीन ग़ज़ल की दिली मुबारकबाद कुबूल फ़रमाएँ "
Apr 28, 2023
Anjuman Mansury 'Arzoo' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-154
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।"
Apr 28, 2023
Anjuman Mansury 'Arzoo' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-154
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल हुई, बधाई स्वीकार कीजिए, गिरह भी ख़ूब ।"
Apr 28, 2023
Anjuman Mansury 'Arzoo' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-154
"जी आदाब, तरही मिसरे पर बेहतरीन ग़ज़ल की दिली मुबारकबाद हाज़िर है ।"
Apr 28, 2023
Anjuman Mansury 'Arzoo' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-154
"जी आदाब, ग़ज़ल तक आने और हौसला अफ़जाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया मोहतरम"
Apr 28, 2023
Anjuman Mansury 'Arzoo' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-154
"जी आदाब, ग़ज़ल तक आने और हौसला अफ़जाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया मोहतरम"
Apr 28, 2023
Anjuman Mansury 'Arzoo' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-154
"जी आदाब, ग़ज़ल तक आने और हौसला अफ़जाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया"
Apr 28, 2023
Anjuman Mansury 'Arzoo' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-154
"जी आदाब, ग़ज़ल तक आने और हौसला अफ़जाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया"
Apr 28, 2023
Anjuman Mansury 'Arzoo' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-154
"जी आदाब, ग़ज़ल तक आने और हौसला अफ़जाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया"
Apr 28, 2023
Anjuman Mansury 'Arzoo' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-154
"उस्ताद मोहतरम समर कबीर साहब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी ख़ूबसूरत इस्लाह के लिए दिली शुक्रिया, मैं दरिया से संबंधित सुधार करती हूंँ । ऐ आरज़ू वाली ग़लती समझ नहीं पाई । माज़रत"
Apr 28, 2023
Anjuman Mansury 'Arzoo' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-154
"आदरणीय dandpani nahak जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल की दिली मुबारकबाद कुबूल फ़रमाएँ"
Apr 28, 2023
Anjuman Mansury 'Arzoo' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-154
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब, अच्छी कोशिश हुई, दिली मुबारकबाद, गुणीजनों से सहमत"
Apr 28, 2023
Anjuman Mansury 'Arzoo' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-154
"आदरणीय संजय शुक्ला जी सादर नमस्ते, मतला ता मक़्तअ बा कमाल, बेहतरीन ग़ज़ल की दिली मुबारकबाद,बे-बहर शाइरी का मज़ा हम से पूछिये -बेहतरीन तंज़"
Apr 28, 2023
Anjuman Mansury 'Arzoo' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-154
"जनाब अजय गुप्ता 'अजेय जी आदाब, इस्लाह के बाद बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई, दिली मुबारकबाद, गुणीजनों से सहमत"
Apr 28, 2023
Anjuman Mansury 'Arzoo' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-154
"जनाब अनिल कुमार सिंह जी आदाब, बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई, दिली मुबारकबाद "
Apr 28, 2023

Profile Information

Gender
Female
City State
Chhindwara
Native Place
Umranala
Profession
Teacher
About me
learner

Anjuman Mansury 'Arzoo''s Photos

  • Add Photos
  • View All

Anjuman Mansury 'Arzoo''s Blog

ग़ज़ल - ये बर्फीली हवाएंँ तेज़ तूफ़ाँ ये मिज़ाजी ठंड

वज़्न -1222 1222 1222 1222

ये बर्फीली हवाएंँ तेज़ तूफ़ाँ ये मिज़ाजी ठंड

मुक़ाबिल तुमको पाकर हो गई कितनी गुलाबी ठंड

तुम्हारी याद की इक गुनगुनी सी धूप के दम पर

सुखाए कितने ग़म हमने बिताई कितनी भारी ठंड

अलावों की न थी कोई कमी उसको मगर फिर भी

ज़मीं ने देखकर सूरज को ही अपनी गुज़ारी ठंड

तुम्हारे प्यार के धागों की मैंने शॉल जब ओढ़ी

लगी है तब मुझे सारे हसीं मौसम से प्यारी ठंड

मैं अक्सर सोचती हूंँ काश फिर…

Continue

Posted on December 11, 2022 at 9:41pm — 11 Comments

ग़ज़ल - मैं अँधेरी रात हूंँ और शम्स के अनवर-से आप

2122 2122 2122 212

मैं अँधेरी रात हूंँ और शम्स के अनवर-से आप

शाम-सी मुझ में उदासी, सुब्ह के मंज़र-से आप

जाने कैसे मिलना होगा अपना इक मे'यार पर

मैं ज़मीं की ख़ाक-सी हूंँ चर्ख़ के मिम्बर-से आप

जो भी आया चल दिया वो मुझ से हो कर आप तक

मैं अधूरी रहगुज़र हूँ और मुकम्मल घर-से आप

क्यों पसंद आये किसी को भी कभी होना मेरा

मैं कि अनचाही सी बेड़ी क़ीमती ज़ेवर-से आप

आपके बिन इस जहांँ में कुछ…

Continue

Posted on December 8, 2022 at 6:00pm — 13 Comments

ग़ज़ल - अभी बस पर ही टूटे हैं अभी अंबर नहीं टूटा

1222 1222 1222 1222

अभी बस पर ही टूटे हैं अभी अंबर नहीं टूटा

परिंदा टूटा है बाहर अभी अंदर नहीं टूटा /1

सितारा यूंँ तो टूटा है मेरी तक़दीर का लेकिन

ख़ुदा का शुक्र है तदबीर का अख़्तर* नहीं टूटा /

हमारे ख़ैर ख़्वाहों ने बहुत चाहा मगर अब तक

हमारे दिल में है उम्मीद का जो घर नहीं टूटा /3

सियासत के सताने पर भी बोला जो हमेशा सच

वो जाने कैसी मिट्टी का है ज़र्रा भर नहीं टूटा /4

कई मख़्लूक़* की है ज़िंदगी…

Continue

Posted on December 6, 2022 at 10:13pm — 3 Comments

ग़ज़ल - हैं ख़ाक फिर भी उठाकर जो सर खड़े हैं पहाड़

1212 1122 1212 22/112

हैं ख़ाक फिर भी उठाकर जो सर खड़े हैं पहाड़

तो हौसला रखो क्या हमसे भी बड़े हैं पहाड़ /1

है इनके दिल में नदी-सी बड़ी नमी लेकिन

मुग़ालता* है कि वालिद-से ही कड़े हैं पहाड़़/2 

पहाड़ कह के कोई तंज़ गर करे इन पर

तो आबशार बने अश्क से झड़े हैं पहाड़ /3

पहाड़ जैसी मुसीबत उठा के हम यूंँ चले

कि हम को देखते ही शर्म से गड़े हैं पहाड़ /4

हम अपने पैर गँवा कर भी चढ़ गए इन पर

हमारे जैसे…

Continue

Posted on December 2, 2022 at 8:13pm — 6 Comments

Comment Wall (4 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 10:37am on April 9, 2024, Erica said…

I need to have a word privately, please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com) Thanks.

At 11:56am on September 30, 2021, Sheikh Shahzad Usmani said…

आदाब।.बहुत-मुबारकबाद और हार्दिक स्वागत आदरणीया अंजुमन 'आरज़ू' साहिबा। अब आपकी रचनायें अधिक सुविधा से पढ़ सकेंगे। गोष्ठियों में आपका इंतज़ार और स्वागत।

At 10:53pm on September 29, 2021, Anjuman Mansury 'Arzoo' said…
जी बहुत-बहुत शुक्रिया मोहतरम, आदाब
At 10:53pm on September 29, 2021, अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी said…

मुहतरमा अंजुमन साहिबा ओ बी ओ के मंच पर आप का स्वागत है। सादर। 

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
2 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
2 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
3 hours ago
Ravi Shukla commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेंद्र जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं शेर दर शेर मुबारक बात कुबूल करें। सादर"
3 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
3 hours ago
Ravi Shukla commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय सौरभ जी अच्छी गजल आपने कही है इसके लिए बहुत-बहुत बधाई सेकंड लास्ट शेर के उला मिसरा की तकती…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
18 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service