For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ चौबीसवाँ आयोजन है.   

 

इस बार का छंद है - भुजंगप्रयात छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

21अगस्त’ 2021 दिन शनिवार से 22 अगस्त’ 2021 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

(चित्र अंतर्जाल से)

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं. 

भुजंगप्रयात छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक ...

जैसा कि विदित है, कईएक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो

21अगस्त’ 2021 दिन शनिवार से 22 अगस्त’ 2021 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 2696

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय अशोक भाईजी

प्रशंसा के लिये हृदय से आभार धन्यवाद ।

दस पंक्तियों को बारह करने की सोच रहा था पर हो नहीं पाया। सभी मोर बगीचे में है यह वाक्य सही है। यही ध्यान में रखते हुए मैंने सभी मोर लिखा। कई छंदों में १२ या २१ की जगह १११  प्रयोग कर सकते हैं यह  विचार आते ही  मैंनेतरह शब्द का चयन किया।

सादर

आदरणीय भाई, अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव, नमस्कार  ! आपकी प्रस्तुति का पहला पद मुझे दिशाहीन  प्रतीत हुआ ! ! शेष पद भी, ध्यानस्थ  हों ,चित्रानुसार  नहीं हैं, बंधुवर  !

आदरणीय चेतनजी

धन्यवाद आभार आपका।

आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. 

आ० अशोक भाईजी ने सहज ही सारी बातें कह दी हैं. विश्वास है, आप आगे से सचेत रहेंगे. 

जय-जय

आदरणीय सौरभ भाईजी

हृदय से धन्यवाद आभार

कुछ गलतियाँ अनजाने एवं कुछ जानते हुए हो गई।

जी, आदरणीय.

आदरणीय ,सौरभ  साहब नमन ! क्षमा  करें क्योंकि  लगभग तीस  घंटे के बाद  पुन: ओ बी ओ कनेक्ट कर पाया  हूँ । 

आपका स्वागत है, आदरणीय.

न खाना नहाना कि बच्चे चुगाना, 

पिता  मोर  साथी घुमाते हँसाना ! 

हवा का झुलाते उन्हें गीत गाना;

अगर माँ नहीं थी पिता को खिलाना !! 

अक़ीदा उन्हें है पिता, माँ निगोड़ी, 

ज़रा आज माँ थी न बीमार थोड़ी! 

कि चलते रहे वे अगाड़ी पिछाड़ी;

बढ़ेगी अलग सी दुलारी कि जोड़ी!! 

बुलाती   बहारों  उन्हें  माँ  रज़ा  ही, 

प्रकृति की सुहानी सुगंधित हवा ही! 

जुबानी  पिता  की  रुहानी  सदा  ही;

मिलन सूर्य जारी धरा ज्योति शाही!! 

सुनानी रही आज मुझको बतानी, 

तुम्हें  है  बतानी  उन्हें  तो सुनानी! 

सुबह से हुई शाम 'चेतन' जतानी;

कि आंसू जुड़ी जन्म उनकी कहानी!! 

मौलिक एवं अप्रकाशित

आपके प्रयास हेतु हार्दिक बधाइयाँ, आदरणीय चेतन प्रकाश जी.

चूँकि आपका प्रारंभिक प्रयास है, अत: पंक्तियों का विधान परे हो जाना परिहार्य है.

यथा, प्रकृति, सुगंधित, मिलन, सुबह, चेतन, उनकी जैसे शब्द यमाता, यानी, १२२ के विन्यास में नहीं होते. 

इसीतरह, तुकांतता को लेकर भी एक स्थान के लिए मुझे निवेदन करना है. कि, पिछाड़ी-जोड़ी जैसी तुकांतता निकृष्ट श्रेणी की मानी जाती है. 

भावपक्ष पर अभी विशेष न कहूँगा. प्रयासरत रहना कई बिंदुओं को स्पष्ट करेगा.

सादर

भुजंगप्रयात छंद

सही ज्ञान दाता करे वो उजाले,

पिता बालकों को हमेशा सँभाले।

नहीं भूख से तंग होते कभी वो,

निवाला मिले वक्त पे ही सभी को।

मौलिक अप्रकाशित

आदरणीय सतविन्द्र भाई, आपकी 'टोकन' उपस्थिति का धन्यवाद. 

आपके माध्यम से मैं सभी सुधीजनों से साझा करता हूँ, कि आगामी माह के लिए इस आयोजन का छंद यही भुजंगप्रयात ही रहेगा.

शुभातिशुभ

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ठीक है खुल के जीने का दिल में हौसला अगर हो तो  मौत   को   दहलने में …"
7 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत अच्छी इस्लाह की है आपने आदरणीय। //लब-कुशाई का लब्बो-लुबाब यह है कि कम से कम ओ बी ओ पर कोई भी…"
16 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
17 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
17 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
17 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service