For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आत्मावलंबन

बाहरी दबाव और आंतरिक आदर्श 

असीम उलझन और तीव्रतम संघर्ष

ऐसा भी तो होता है कभी

कि मन का सारा संघर्ष मानो

किसी एक बिंदु पर केंद्रित हो उठा हो

और पीड़ा ... जहाँ कहीं से भी उभरी

सारी की सारी द्रवित हो कर

उस एक बिंदु के इर्द-गिर्द

ठहर-सी गई हो

बह कर कहीं और चले जाने का

उस पीड़ा का

कोई साधन न हो

वाष्प-सा उसका उड़ जाना तो असंभव

विवेक से उसको सुलभ कर सकना

मन के लिए यह भी हो असाध्य

यह भी संभव न हो

बुद्धि और हृदय की ऐसी

आपसी राढ़ में इस बीच

कभी परस्पर सामंजस्य, कभी हल खोजते

हर दिन मेरे लिए मानो एक वत्सर हो लम्बा

समय हो जाता है कुछ भारी इतना

बारिश के बाद भीगे पत्तों के भार से जैसे

पेड़ पर हर डाल कुछ और झुक जाती है

बिना अपनी किसी गलती के

ऐसे में मन कुछ और विनम्र

और भावाकुल 

संसार के सामने सिर अपना

और झुक जाता है

पहले भी जाने कई बार कब-कब

ऐसी असमर्थता से गुज़र चुका हूँ मैं

न जाने क्यूँ यह कैसी कुछ अजीब

कशमकश है आज

एक और नई ठोकर के बाद

टुकड़े-टुकड़े हो कर

लगता है मैं आज चुक चुका हूँ

ऐसे में मुझमें अब

किसी नई चाह को परखने की

प्रवृति बाकी नहीं है

पर यह भी जानता है यह मन

कोई भी मनोस्थिति आज की ही है

मौसम बदलेगा, नए अंकुर फूटेंगे

चेतना में मुझको विश्वास है इतना

गिर कर संभल जाने में ही

है सार्थकता और सम्मान

भीतर कहीं यही संबल अभी भी है

विधाता के आशीर्वाद से

इस इकाई में अभी भी बल है बहुत

समस्या कितनी ही भारी हो

उसका समाधान

पलायन नहीं है

व्यक्तित्व की अमर

सौन्दर्य-अनुभूति है

अपने दायित्व को अंगीकार करते

अपने प्रकृत रूप में निखर उठते

हर दुविधा और विषमता के

कितना भी बढ़ जाने पर

मैं ईमानदारी से 

अपने स्वावलंबन में

विश्वास दुहरा देता हूँ

         -----

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 502

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on May 4, 2020 at 1:42am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, प्रिय मित्र सुरेन्द्र जी।

Comment by नाथ सोनांचली on May 2, 2020 at 6:38pm

आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन। बढ़िया भाव परक और विचारोत्तेजक रचना पर हृदयतल से बधाई स्वीकार कीजिये। सादर

Comment by vijay nikore on May 2, 2020 at 6:53am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, प्रिय मित्र छोटेलाल सिंह जी।

Comment by vijay nikore on May 2, 2020 at 6:52am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, प्रिय मित्र लक्ष्मण जी।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on April 30, 2020 at 9:16am

आदरणीय विजय निकोर साहब सादर अभिवादन बहुत ही सारगर्भित और मार्मिक रचना का सृजन किया आपने बहुत बहुत बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 29, 2020 at 8:50pm

आ. भाई विजय निकोर जी, सादर अभिवादन । एक अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service