For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

न सीखी होशियारी

न  सीखी  होशियारी

सर्वसामान्य का संवाग रचाते

मानव में है मानो चिरकाल से

उथल-पुथल गहरी भीतर

पग-पग पर टकराहट बाहर

आदर्श, व्यवहार और विवेक में

असामंजस्य

तीव्रतम संघर्ष

इस परिप्रेक्ष्य में कैसे है सम्भव

वर्तमान स्थिति का

संस्कृति का

सही मूल्यांकन करना

हैरान हूँ कि इस पर भी कैसे 

कर लेते हैं लोग दिखावा

संपूर्णता का

एकसूत्रता का

सुना है कि इसमें भी है एक विशेष

कलात्मकता

कुछ कह देते हैं इसको

प्रगतिशीलता 

और दे देते हैं कोई नाम इसे

राजनीति का 

आत्मकेन्द्रीय और अहंकारी

टेढ़ी-मेढ़ी बिखरी फैली

खण्ड-खण्ड हुई सामाजिकता

व्यक्तित्वहीनता में भी ऐसे में

चोरी और झूठ पकड़े जाने पर भी

ढो लेते हैं कंधे पर 

भ्रम ईमानदारी का

सौन्द्रय का

अनमनी झंकार में कैसे भी

आन्तरिक विरोध को सुलझाते

ऐसे "सर्वसामान्य" की स्वीकृति करते

करता हूँ प्रयत्न कि देखूँ चारों ओर

मानवता

करूँ वर्तमान में सौन्द्रय की अनुभूति

जीवन्तता का सरल आभास

करता रहा मैं ऐसे ही अकुंठित विश्वास

हर किसी के कहे में बार-बार

लौट-लौट आती है अनन्य अनुभूति

कढ़वी वास्तविक्ता की

पिघल-पिघल उठता है ऐसे में अकस्मात

बार-बार ठगे जाने का भान

लज्जा से झुक जाता है मस्तक

सोच-सोच कि यह कैसी ममता थी

क्यूँ सहे मैंने वर्षों तक आत्मीयों के आघात

लगता है कि मैं रहा बालक अभी तक

भीड़ में अकेला

गूँजता है, ठहर जाता है स्मृति-पटल पर

बचपन में सुना एक प्रिय गीत पुराना ...

"सब कुछ सीखा हमने, न सीखी होशियारी

 सच है दुनिया वालो, कि हम हैं अनाड़ी "   *

बहुत दुखता है मन !

        ------

-- विजय निकोर

* यह गीत चल-चित्र "अनाड़ी" से

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 323

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on April 27, 2020 at 2:30pm

आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र लक्ष्मण जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 20, 2020 at 1:10pm

आ. भाई विजय निकोर जी, सादर अभिवादन । उत्तम रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service