For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जनमत जिसके साथ में, उसकी होती जीत,

अहंकार जिसने किया, जनता करे न प्रीत |

जनता करे न प्रीत, जीत न उसे मिल पाए

जो भी चाहे जीत, काम जनता के आए

कह लक्ष्मण कविराय, मिटावे दिल से नफरत

जनहित की हो सोच, उसे ही मिलता जनमत |

 

दिल में भाव अभाव है,कोरा है वह चित्र 

दुख में कभी न छोड़ता,वह है सच्चा मित्र |

वह है सच्चा मित्र, श्रेय न कभी वह लेता

कपट धूर्तता बैर, पास न फटकने देता

लक्ष्मण देती साथ,ह्रदय से पत्नी इसमें

रहे भाव परमार्थ,लोभ न रखे जो दिल में ||

 

आटा गीला हो रहा, सूझे नहीं निदान,

दीन हीन इन्सान का, मन्दी में नुकसान

मन्दी में नुकसान, झेलता आया प्राणी

करे कौन सहयोग,सुने न दीन की वाणी

जिसमे डाले हाथ, उसी में होता घाटा

जिसके नहीं नसीब,मिले न उसको आटा ||

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 643

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 3, 2015 at 10:19am

बहुत बहुत आभार आपका श्री गिरिराज भंडारी जी | आपकी प्रकाशित पुस्तक में गजलें पढकर ख़ुशी है |आपको हार्दिक बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 3, 2015 at 10:17am

कुण्डलिया छंद आपको सुंदर लगे यह मेरे लिए प्रसन्नता के बात है | आपका अतिशय आभार श्री हरी प्रसाद दुबे जी और डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव  जी | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 3, 2015 at 10:15am

कुण्डलिया  छंदों पर आपकी प्रतिक्रिया पढकर प्रसन्नता हुई श्री अरुण कुमार निगम जी | 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 3, 2015 at 10:13am

कुण्डलिया छंद सराहने के लिए शुक्रिया श्री खुर्शीद खैराडी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 2, 2015 at 8:19pm

आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला सर, सभी कुण्डलिया बहुत सुन्दर हुई हैं, हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 2, 2015 at 5:43pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , बढ़िया कुंडलियों की रचना की है , बधाई स्वीकार करें ॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 2, 2015 at 2:13pm

आ 0 लड़ीवाला जी

क्रमशः अच्छी होती गयी हैं कुण्डलिया i आपको बधाई i  सादर i

Comment by Hari Prakash Dubey on March 2, 2015 at 1:37pm

आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला सर , सभी कुण्डलिया छन्द बहुत सुन्दर हैं , हार्दिक बधाई ! सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 2, 2015 at 12:26pm

अंतिम छंद पसंद करने के लिए शुक्रिया  श्री उमेश कटारा  जी  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 2, 2015 at 11:23am

छंद पसंद कर सराहने के लिए बहुत बहुत आभार आपका श्री maharshi tripathi जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
13 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
14 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service