For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी हाथ की वो किताब हो..........

जिसे उम्र भर मैं सुना किया ,
जिसे चुपके-चुपके पढा किया ,
मैं समझ सका न जिसे कभी ,
मेरी हाथ की वो किताब हो ।।


एक बाल था मिरी पलक का ,
जो छुपा रहा मिरी आँख में ,
मुझे जिसकी फिक्र न थी कभी ,
मेरी जिन्दगी का वो ख्वाब हो ।।


जो ठहर गयी मेरी फिक्र थी ,
जो सॅवर गया तेरा ख्याल था ,
जो उतर गयी मेरे दिल के आँगन में ,
वो ठण्डी छॉव हो ।।


तेरे इन्तजार का सिलसिला ,
कभी टूूटता तो मैं जानता ,
मुझे मिला क्या मैंने खो दिया ,
मेरी जिन्दगी का हिसाब हो ।।


तुझे भूलने से भी क्या मिला ,
मैने करके देखा है ये बहुत ,
वो जो जख्म दे के चला गया ,
मेरी आँख को , वो ही ख्वाब हो ।।

मेरे साथ-साथ चला किया ,
मेरी जिन्दगी बनके अजय
जिसे रख सका न सॅभाल कर ,
मिरी जिन्दगी का वो खिताब हो ।।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 474

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on December 25, 2014 at 5:52pm

आदरणीय अजय जी सुन्दर अभिव्यक्ति ... मैं समझ सका न जिसे कभी ,

मेरी हाथ की वो किताब हो ।।....हार्दिक बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 25, 2014 at 9:49am

आदरणीय अजय जी अच्छी रचना है सादर बधाई

Comment by gumnaam pithoragarhi on December 25, 2014 at 9:14am

जो ठहर गयी मेरी फिक्र थी ,
जो सॅवर गया तेरा ख्याल था ,

वाह बहुत खूब नज़्म हुई है

Comment by ajay sharma on December 24, 2014 at 10:32pm

giriraj sir se hausala afzai ki mai to dhanya huya , laga ki kuch sarthak likha hai shayad 

Comment by ajay sharma on December 24, 2014 at 10:31pm

adarniya mithilesh ji se mutasir hokar kuch ban pada .....aap gunijano ko pasand aayi nawazishe 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 24, 2014 at 6:24pm
सुन्दर रचना । आपको हार्दिक बधाई।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 24, 2014 at 12:53pm

सुन्दर नज्म, बधाई .

Comment by somesh kumar on December 24, 2014 at 11:51am

नज्म ,ख्याल .गज़ल .गीत जो कुछ भी हो पर 

तेरा ख्याल मन को भा रहा 

तेरा गीत मैं  गुनगुना रहा 

तू बात ऐसी लिख रहा 

मैं तेरा होता जा रहा |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 24, 2014 at 10:51am

आदरणीय अजय भाई , बढिया ख्याल है , नज़्म के लिये बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
11 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service