For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शीत के दुर्दिन का ढो रहे संत्रास , क्या करे क्या न करे फुटपाथ ||

शहरो के बीच बीच सड़कों के आसपास |
शीत के दुर्दिन का ढो रहे संत्रास , क्या करे क्या न करे फुटपाथ || 

सूरज की आँखों में कोहरे की चुभन रही 
धुप के पैरो में मेहंदी की थूपन रही 
शर्माती शाम आई छल गयी बाजारों को 
समझ गए रिक्शे भी भीड़ के इशारों को 
बच्चो के खेल सब कमरों में गए बिखर 
ठिठक गए चौराहे भी खम्भों के इधर उधर 
सुलग उठे हल्के हल्के बल्बों के मन उदास 

शहरो के बीच बीच सड़कों के आसपास |
शीत के दुर्दिन का ढो रहे संत्रास , क्या करे क्या न करे फुटपाथ || 

अलसाई पलकों से नींदों का बढ़ा मान
ले के थकन आ गयी स्वप्न का सारा सामान 
ठिठुरन भी चूल्हों के बाहों में बँट गई  
छाती की उस्ड़ता पैरो से लिपट गई 
फुटपाथी तापमान काया ने जोड़ लिया 
शीत की चादर को साँसों ने ओढ़ लिया 
करवटें भी भूल गई बाकी सब तलाश 

शहरो के बीच बीच सड़कों के आसपास |
शीत के दुर्दिन का ढो रहे संत्रास , क्या करे क्या न करे फुटपाथ || 

चाय के पियालो से ट्रेफिक की सीटी तक 
अनसन और हड़ताले आग से अंगीठी तक 
केवल बस केवल नाम रहा खास का 
देश मेरा लग रहा शीत में फुटपाथ सा 
दुखते हुए जोड़ है शीत का उलाहना है 
बुझते हुए चूल्हों को शीत का बहाना है 
शीत करे राजनीति मनरेगा है हताश 


शहरो के बीच बीच सड़कों के आसपास |
शीत के दुर्दिन का ढो रहे संत्रास , क्या करे क्या न करे फुटपाथ ||

Views: 439

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ajay sharma on December 18, 2014 at 10:46pm

sabhi gurujano ko bahut bahut dhanyawad .........


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 17, 2014 at 8:36pm

बहुत बढ़िया आदरणीय अजय भाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 17, 2014 at 8:59am

ठिठुरन भी चूल्हों के बाहों में बँट गई  
छाती की उस्ड़ता पैरो से लिपट गई 
फुटपाथी तापमान काया ने जोड़ लिया 
शीत की चादर को साँसों ने ओढ़ लिया 
करवटें भी भूल गई बाकी सब तलाश ======bahut sundar

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 17, 2014 at 3:20am
कहाँ-कहाँ नहीं भटकती है जिंदगी ,
जहां भटकती है वहीँ मिलती है ,
वहीँ कुछ पलती भी है जिंदगी ॥
बहुत ही सुन्दर , अर्थपूर्ण प्रस्तुति, आदरणीय अशोक शर्मा जी , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 16, 2014 at 11:40pm

अच्छी रचना ... बधाई 

Comment by Hari Prakash Dubey on December 16, 2014 at 11:24pm

शर्माती शाम आई छल गयी बाजारों को 
समझ गए रिक्शे भी भीड़ के इशारों को .....बहुत सुन्दर रचना है ! बधाई !

Comment by somesh kumar on December 16, 2014 at 11:10pm

आप की रचना दिल को छु गई और मुझे इसे फ-बुक पे शेयर करने को विवश होना पड़ा |बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
9 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service