For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किंचित तो गुरुता नहीं, अन्तरमन में शेष।
लेकिन बैठे छद्म कर, धारण गुरु का वेश॥  
धारण गुरु का वेश, विषयरत कामी–लोभी।
लेकर प्रभु का नाम, लूट लेते प्रभु को भी॥
करुणाकर भी सोच, सोच कर होंगे चिंतित।
रच कर मानुष-वर्ण, भूल कर बैठा किंचित!!


_______मौलिक / अप्रकाशित________

- संजय मिश्रा 'हबीब'

Views: 730

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on September 9, 2013 at 10:43am

कुण्डलिया की सराहना हेतु आप सभी सम्माननीय मित्रगण सादर आभार/अभिवादन स्वीकारें....

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 4, 2013 at 5:17pm

अति सुंदर व्यंग्य ..अति सुदर कुंडली ..बधाई

Comment by vijay nikore on September 4, 2013 at 1:22pm

अति सुन्दर व्यंग। आपको हार्दिक बधाई।

सादर,

विजय निकोर

Comment by बृजेश नीरज on September 4, 2013 at 1:22pm

बहुत सुन्दर कुण्डलियां! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by विजय मिश्र on September 4, 2013 at 1:06pm
किंचित आपकी कुण्डलियों में जो कुण्डली मार कर बैठा है वह है अंध शिष्यों द्वारा फैशन में देखा-देखी पींग हाँकने केलिए गए-बीतों को गुरु की मर्यादा देना और सोसल स्टेटस फोर्मेसन के चक्कर में आडम्बरी छद्मावरण धारीयोंका गुरु रूप में वरन और .... फिर भुगतिये सत्यानाश . इसे आधुनिक साहित्य में 'अंध गुरु अध्याय' से चिन्हित करना चाहिए .जीवन नाटक होता जा रहा है ,स्वार्थ जो न करा ले इस अंधानुकरण के दौर में . विवेकी रचना के लिए बधाई संजयजी .
Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on September 4, 2013 at 8:02am

बढ़िया प्रस्तुति ! बधाई, संजय भाई जी !

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 3, 2013 at 9:56pm

आ0 संजय हबीब भाई जी,  सादर प्रणाम!   वाह!...  बहुत सुन्दर कुण्डलियां।   हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by AVINASH S BAGDE on September 3, 2013 at 8:46pm

किंचित तो गुरुता नहीं, अन्तरमन में शेष।
लेकिन बैठे छद्म कर, धारण गुरु का वेश॥  
धारण गुरु का वेश, विषयरत कामी–लोभी। 
लेकर प्रभु का नाम, लूट लेते प्रभु को भी॥ संजय मिश्रा 'हबीब' ji sateek...

!!



Comment by रविकर on September 3, 2013 at 7:18pm

आदरणीय संजय जी की जबरदस्त कुण्डलिया -
आभार आदरणीय-
आपकी रचनाएं नियमित पढने को मिलती रहेंगी- -
सादर

नाजुक अंगों को छुवे, करे वासना शान्त |
बने कान्त एकांत में, होय क्वारपन क्लांत |

होय क्वारपन क्लांत, बुद्धि से संत अपाहिज |
बढे दरिन्दे घोर, हुआ अब भारत आजिज |

बड़ी सजा की मांग, सुरक्षा से है तालुक |
मात पिता जा जाग, परिस्थिति बेहद नाजुक |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 3, 2013 at 5:58pm

आदरणीय संजय भाई , आपकी कुंडलिया ने सही समय मे सही चोट की है !! लाजवाब !! बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
4 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service