For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

बहुत रुलाया शहर ने  ,
दी जहर फिजा में  घोल ,
खुश रहना हैं तो यारो ,
चलो गाँव की ओर .
हर तरफ हैं मोटर ,
जो शोर मचाती हैं ,
कसम से यारो दिन क्या ,
रातों को नींद नहीं आती हैं ,
प्यारा नहीं लगता हैं 
यारा यहाँ का भोर ,
खुश रहना हैं तो यारो ,
चलो गाँव की ओर ,
यहाँ के तलाब को देखो ,
कितना गन्दा पानी हैं ,
चले जाओ किसी बस्ती में ,
हर तरफ परेशानी हैं ,
खुशियाँ तो सिमट गई हैं ,
ऊँची मंजिल की ओर ,
खुश रहना हैं तो यारो ,
चलो गाँव की ओर ,
एक घर में पहुच गया ,
समझा देख के अन्दर का मंजर 
शहर हैं पैसे वालो का ,
क्या ठाठ हैं उसके अन्दर ,
कितना सुन्दर तलाब बना ,
स्विमिंग पुल कहलाता हैं ,
बच्चा को देखा मैंने ,
पैसा देकर पार्क में जाता हैं ,
हम गरीबो के पास ,
नहीं हैं इसका तोड़ ,
खुश रहना हैं तो यारो ,
चलो गाँव की ओर .

 

Views: 465

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rash Bihari Ravi on August 24, 2011 at 4:48pm

dhanyabad aap sabhi ko

Comment by Ravi Prabhakar on August 22, 2011 at 8:14pm

साधू-साधू! शहरी जीवन शैली का कटु सत्य। बधाई भाई!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 14, 2011 at 9:03pm

khubsurat rachna Guru jee , badhai

Comment by आशीष यादव on August 6, 2011 at 10:25pm

sundar rachna. shahar ki pareshani aur ganv ka aanad.

बहुत रुलाया शहर ने  ,
दी जहर फिजा में  घोल ,
खुश रहना हैं तो यारो ,
चलो गाँव की ओर .
congrats.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 6, 2011 at 10:02pm

//खुश रहना हैं तो यारो ,

चलो गाँव की ओर .//
बहुत खूब.. असर आ रहा है रचनाओं में. टकण-त्रुटि दुरुस्त करा लें.
Comment by Rash Bihari Ravi on August 6, 2011 at 5:04pm

dhanyabad sir ji

Comment by satish mapatpuri on August 6, 2011 at 4:26pm
बहुत रुलाया शहर ने ,
दी जहर फिजा में घोल ,
खुश रहना हैं तो यारो ,
चलो गाँव की ओर
बहुत ही खुबसूरत ख्याल पेश किया है गुरूजी,बहुत -बहुत धन्यवाद.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
8 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
11 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
11 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
12 hours ago
Ravi Shukla commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेंद्र जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं शेर दर शेर मुबारक बात कुबूल करें। सादर"
12 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
12 hours ago
Ravi Shukla commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय सौरभ जी अच्छी गजल आपने कही है इसके लिए बहुत-बहुत बधाई सेकंड लास्ट शेर के उला मिसरा की तकती…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service