For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फिर से मुझको न वो हरा जाए....( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

2122 1212 22/112

फिर से मुझको न वो हरा जाए
इससे पहले ही कुछ किया जाए (1)

जब वो आँखों से कुछ नहीं कहता
कान में कुछ तो बुदबुदा जाए (2)

बन गया है वो मील का पत्थर
अब उसे ठीक से पढ़ा जाए (3)

यार अब बन गया अदू मेरा
अब भले को बुरा कहा जाए (4)

सीधे रस्ते पे क्या चलेगा वो
जिसका ईमान डगमगा जाए (5)

है जबाँ यार ये महब्बत की
उससे उर्दू में कुछ कहा जाए (6)

*मौलिक/अप्रकाशित

Views: 629

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 21, 2020 at 8:44am

आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by सालिक गणवीर on November 20, 2020 at 12:25pm

मुहतरम  बृजेश कुमार 'ब्रज' जी.
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.

Comment by सालिक गणवीर on November 20, 2020 at 12:23pm

उस्ताद -ए -मुहतरम समर कबीर साहिब
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.आपकी क़ीमती इस्लाह पर तामील होगी जनाब। शुक्रिय :

Comment by सालिक गणवीर on November 20, 2020 at 12:22pm

मुहतरम Chetan Prakash  जी.
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ. आपकी इस्लाह सर आखों पर आदरणीय। आवश्यक सुधार करता हूँ मुहतरम। 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 19, 2020 at 9:11pm

बढ़िया ग़ज़ल कही है आदरणीय...बहुतखूब

Comment by Samar kabeer on November 18, 2020 at 6:56pm

जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

तीसरे शैर पर जनाब चेतन प्रकाश जी से सहमत हूँ ।

Comment by Chetan Prakash on November 18, 2020 at 6:43am

भाई सलिक गणवीर , नमस्कार ! गजल अच्छी है, बधाई, स्वीकार करें ! हाँ, तीसरा शेर संशोधन चाहता है, वाक्य विन्यास की दृष्टि से से भी और सम्प्रेषण की दृष्टि से भी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
22 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service