सादर अभिवादन, यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करे | हम सभी उम्मीद करते है कि आपका प्यार इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा | आपका गणेश जी "बागी"
नमस्कार वाहिद साहब,
ज़रूर करूँगी....आपका बहुत धन्यवाद..आपकी ग़ज़ल सुनी.....आपकी आवाज़ की संजीदगी और दर्द आपके ग़ज़ल की आत्मा को बाहर ले आती है....... शब्द नही है......मेरे पास...
बरसों से मैं सफ़र में ही मुब्तला रहा, अब भी वहीं खड़ा हूँ जिस दिन था मैं चला
bahut khub, maine is majmun pe badi si kavita likhi hai jise aapne do lino me hi kah dala......yahi to speciality hai aapki aur aapke gajal ki.....badhai
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
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संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी''s Comments
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snehi sandip ji, saadar.
savadhik sakriya sadasya ke chayan hone par haardik shubh kamnayen.
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
भाई संदीप वाहिद जी को सद्यः-व्यतीत माह का सर्वाधिक सक्रिय सदस्य चयनित होने पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ.
पूर्ण विश्वास है, इस मंच से आपकी संलग्नता इसी तरह बनी रहेगी. आपका प्रस्तुत सद्-व्यवहार नये सदस्यों के लिये सकारात्मक प्रेरणा का कारण भी है.
हार्दिक बधाई .. .
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
आदरणीय श्री संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' जी
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करे |
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आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
वाहिद साहब जी आपने फर्क और पात्रता पर आपके कमेन्ट के लिए मै आपका आभारी हु धन्यवाद
hain bhai hai pradeepbhi hai.
alka, nisha ka hai intjar
aap unhen bulaye,
sarita ji lot gayin thi
dekh band dwar
जय हो बाबा काशी विश्वनाथ जी की ...आप सभी बन्धु बांधव को यहाँ देख मन गद गद हुआ --जमेगी --लगता है हम विलम्ब से पहुंचे ....भ्रमर 5
dhanyavad, vahid ji. apka sneh hi hai.
काफी दिनों बाद यहाँ पधारा हूँ, ऐसा लगता है गंगा में बहुत धाराएँ निकल चुकी हैं! सादर!
Nice compositions!
ज़रूर करूँगी....आपका बहुत धन्यवाद..आपकी ग़ज़ल सुनी.....आपकी आवाज़ की संजीदगी और दर्द आपके ग़ज़ल की आत्मा को बाहर ले आती है....... शब्द नही है......मेरे पास...
suprabhat, dhanyavaad.
kushwaha.
wahid ji namaskar,
बरसों से मैं सफ़र में ही मुब्तला रहा,
अब भी वहीं खड़ा हूँ जिस दिन था मैं चला
bahut khub, maine is majmun pe badi si kavita likhi hai jise aapne do lino me hi kah dala......yahi to speciality hai aapki aur aapke gajal ki.....badhai
चले करने बयां अलफ़ाज़ में उन लम्हात को 'वाहिद',
समझ आया उन्हें ये शख़्स, अंधा-गूंगा-बहरा है;
aadarniya vahid ji, saadar abhivaadan
unki sada pe maine di sada
vo unki ada thi ye meri adaa
jor tha unki sada main is kadar
kashi na chuti chod diya maghar
aaye hain tere dar pe shish navane
chute na saath bhale hon ham anjaane.
jo samjhte hon shaksh ko andha-goonga-bahra
gaflat main hain vo hakikat hansin hain kitni
khvabon ka hasin chehra tasvir hain jamini
sundar bhav. badhai. ....kushwaha.
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