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जीने की आरज़ू तो है सब को खुशी के साथ - सलीम रज़ा रीवा

221 2121 1221 212 

जीने की आरज़ू तो है सब को खुशी के साथ

ग़म भी लगे हुए हैं मगर ज़िन्दगी के  साथ

-  

नाज़-ओ-अदा के साथ कभी बे-रुख़ी के साथ 

दिल में उतर  गया वो बड़ी सादगी के साथ

-  

आएगा मुश्किलों में भी जीने का फ़न तुझे

कुछ दिन गुज़ार ले तू मेरी ज़िन्दगी के साथ

-  

ख़ून-ए- जिगर निचोड़ के रखते हैं शेर में

यूँ ही नहीं है प्यार हमें  शायरी के साथ 

-  

अच्छी तरह से आपने जाना नहीं जिसे

यारी कभी न कीजिये उस अजनबी के साथ

-  

मुश्किल में कैसे जीते हैं यह उनसे पूछिये

गुज़रा है जिनका वक़्त सदा मुफ़लिसी के साथ

-  

उसपर न ऐतबार  कभी कीजिए  " रज़ा 

धोका किया है जिसने हमेशा सभी के साथ

-----------------

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by SALIM RAZA REWA on February 5, 2018 at 7:32pm
जनाब तस्दीक साहब,
ग़ज़ल पर आपकी नज़रे इनायत और हौसला अफज़ाई के लिए दिली शुक्रिया,
Comment by SALIM RAZA REWA on February 5, 2018 at 7:31pm
आ. तेजवीर सिंह जी,
ग़ज़ल पर आपकी शिरक़त और हौसला अफज़ाई के लिए दिली शुक्रिया
Comment by Samar kabeer on February 4, 2018 at 9:46pm

जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by नादिर ख़ान on February 4, 2018 at 6:49pm

खूबसूरत गज़ल के लिए मुबारकबाद , जनाब सलीम रज़ा साहब ....

Comment by रक्षिता सिंह on February 4, 2018 at 4:59pm

आदरणीय सलीम जी, बहुत ही उम्दा गजल।

बहुत  बहुत मुबारकबाद।।

Comment by Mohammed Arif on February 4, 2018 at 3:44pm

आदरणीय सलीम रज़ा साहब आदाब,

                             सबकुछ समा दिया इस ग़ज़ल में आपने । कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ हैं जैसे कूछ/कुछ, जिदगी/ ज़िंदगी , मुश्किल/ मुश्क़िल । बाक़ी बेहतरीन ग़ज़ल । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 4, 2018 at 1:49pm

जनाब सलीम रज़ा साहिब , उम्दा ग़ज़ल हुई है , मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ
शेर4 और शेर7 के सानी मिसरे को यूँ करके देखिएगा , शेर की सुंदरता बढ़ जाएगी
" यूँ ही नहीं लगाव हमें शायरी के साथ " | "करता है जो फरेब हर इक आदमी के साथ "

Comment by TEJ VEER SINGH on February 4, 2018 at 1:21pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सलीम रज़ा रेवा साहब जी। बेहतरीन गज़ल।

ख़ून-ए- जिगर निचोड़ के रखते हैं शेर में

यूँ ही नहीं है  प्यार हमें  शायरी के साथ 

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