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हिम्मत बढ़ाईये , जीते जाइए --डॉ o विजय शंकर

सच बोलने के लिए
गर मासूमियत नहीं,
हिम्मत औ जिगर की
जरूरत पड़ने लग जाए ,
तो समझ लीजिये कि
मासूमियत तो गई ,
बिलकुल चली गई ,
आपकी जिंदगी से ,
आपके आस-पास से ,
आप तो बस जी लीजिये
जिगर से , हिम्मत से।
जिंदगी एक प्यार का नगमा ,
एक मधुर गीत है ,
भूल जाइए , आपके लिए तो ,
बस एक संघर्ष है,
हिम्मत बढ़ाते जाइए ,
और जीते जाइए ,
जीते जाइए |
जब सच के लिए
हिम्मत की जरूरत
पड़ने लग जाए तो समझ जाइए ,
वो दिन दूर नहीं
जब सांस लेने के लिए भी
हिम्मत की जरूरत पड़ेगी ॥
रोटी कपड़े के लिए भी
जद्दोजहद करनी पड़ेगी ॥
बस , जीवन एक संघर्ष है,
संघर्ष रत रहिये , युद्ध रत रहिये ,
यद्ध करते रहिये , जीते रहिये ,
मासूमियत को भूल जाइए ,
उसके किस्से सुनिए , और
बस किताबों में पढ़ते जाइए ,
आपकी जिंदगी कुछ हो न हो ,
एक संघर्ष है , एक युद्ध अवश्य है ,
स्वीकार कर लीजिये, संघर्ष कीजिये ,
अहर्निश , निरंतर , अनवरत।
संघर्ष में रहिये ,
बस यूँ ही जीते रहिये ,
जीते रहिये ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Dr. Vijai Shanker on March 12, 2015 at 7:39am
आदरणीय मोहन सेठी जी, आपको रचना सुरुचिपूर्ण लगी , आभार , आपके विचारों एवं प्रतिक्रिया का स्वागत है , धन्यवाद , सादर।
Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 12, 2015 at 5:51am

आदरणीय.... मासूमियत तो बचपन के साथ ही खो जाती है क्यूंकि दुनियाँ की हकीकत तो संघर्ष ही है ....भावपूर्ण रचना ..बधाई 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 11, 2015 at 10:29pm
आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी ,आपको रचना पसंद आई ,आपने बहुत सुन्दर व्याख्या लिखी है , इतना तो मैंने भी लिखते समय नहीं सोंचा था , आपका बहुत बहुत आभार , आपकी सद्भावनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 11, 2015 at 10:27pm
आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी ,आपको रचना पसंद आई , आपका आभार , आपकी सद्भावनाओं एवं बधाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 11, 2015 at 10:20pm
आदरणीय शिज्जु शकूर जी ,आपको रचना पसंद आई , आपका आभार , आपकी सद्भावनाओं एवं बधाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by maharshi tripathi on March 11, 2015 at 10:19pm

अत्यंत  सुन्दर संदेशवाहक कविता पर आपको हार्दिक बधाई आ.विजयशंकर जी |

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 11, 2015 at 10:18pm
आदरणीय श्याम मठपाल जी ,आपको रचना पसंद आई , आभार , आपकी सद्भावनाओं के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 11, 2015 at 10:14pm

मासूमियत देखते ही दरिन्दे लार टपकने लगते है!!पुलिसवाले के लिए 200-500 का इंतजाम है मासूमियत! ट्रैफिकइंस्पेक्टर के लिए आज का बकरा है मासूमियत! आजकल के डाक्टरों के लिए नया शिकार है मासूमियत!! लडकियों के लिए तो अभिशाप है मासूमियत!!

आजकल की जिंदगी में असफलता का नाम है मासूमियत!! इसलिये अब बस किताबों का किस्सा है मासूमियत!! बहुत ही धारदार रचना!आपको अभिनन्दन आदरणीय!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 11, 2015 at 8:20pm

आपकी जिंदगी कुछ हो न हो ,
एक संघर्ष है , एक युद्ध अवश्य है ,

यही सत्य है हर कदम पर ज़िन्दगी एक संघर्ष है बहुत बहुत बधाई आपको इस रचना के लिये

Comment by Shyam Mathpal on March 11, 2015 at 7:30pm

Aadarniya Dr.Vijay Shanker Ji,

Himmat wa sahas par bahut hi achhi prastuti.. Sach much Aadami ka saccha dost sahas hi hai. Iske abhav main vykti pal pal marta hai.

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