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इण्डियाज डॉटर क्या है -- डॉo विजय शंकर

इण्डियाज डॉटर क्या है ,
बी बी सी द्वारा बनाई गयी
एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म है ,
एक गंभीर विषय है, हमारी
व्यवस्था, सोंच , नज़रिये को ,
को झकझोर देने वाला विषय है ,
ख़बरों में है, मगर विचार में नहीं |
हमको हमारे बारे में बताती है,
समझो, कुछ तो , हमें समझाती है ,
एक विचार , एक चुनौती है यह ,
सोचना पड़ेगा , ऐसा है कुछ यह।

एक निवेदन है यह ,
किसी की आशा , पूरी जिंदगी ,
लाज , लज्जा , अस्तित्व है यह।
एक दबाई गई सिसकी है यह।
आपकी नज़रें इनायातें ,
कृपा दृष्टि चाहती है यह।
चांटा नहीं , मासूम गाल पर इक
प्यार भरी थपकी चाहती है , यह।

आंसू ' मदर इण्डिया ' के अभी तक
थमें नहीं , कितने दशक गये बीत, और
' इण्डियाज डॉटर ' एक प्रश्न बन गई है ,
यत्र नार्यस्तु .... पर एक चुनौती भरा प्रश्न ,
जघन्य अपराधियों का घोषित न्याय है यह ,
विकृत मानसिकता का दंड-विधान है यह.
इण्डियाज सन्स को जगाता फरमान है यह ||

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 738

Comment

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Comment by Dr. Vijai Shanker on March 10, 2015 at 11:57am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , रचना आप तक पहुंची , उसे सार्थकता मिली , आपका आभार। आपकी सद्भावनाओं के लिए
धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 10, 2015 at 11:10am

लाजवाब अभिव्यक्ति हुई है आदरणीय  विजय भाई , कुछ सोचने के लिये विवश करती । हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 9, 2015 at 11:02pm
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , आपकी विवेचना बहुत ही सार्थक है, आभार, बधाई के लिए धन्यवाद, सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on March 9, 2015 at 10:11pm

आदरणीय डॉक्टर  विजय शंकर सर , बहुत ही यथार्थवादी रचना है ,

आंसू ' मदर इण्डिया ' के अभी तक
थमें नहीं , कितने दशक गये बीत, और
' इण्डियाज डॉटर ' एक प्रश्न बन गई है .......बहुत सुन्दर ! बधाई सर ,सादर !

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 9, 2015 at 9:58pm
आदरणीय श्याम मठपाल जी , आपकी चेतना को नमन. आवाज उठाने से कुछ नहीं होता , आवाज तो उठती है , संवेदन हीनता को वो छोटी सी गूँज चुभती है , हमारे आपके होने का एहसास कराती है , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 9, 2015 at 9:49pm
आपने विषय को लिया , विचार किया , आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , आप से प्रेरित होकर और लोग कुछ तो सोचेंगे , विशवास है, मैंने वही चेष्टा की है।
जो हो रहा है , उसे देखो, उसकी विवशता सोचो , वांछनीय कुछ भी न कर सकने की विवशता सोचो , किसी सेलिब्रिटी का यह दावा करना कि सुधरने का मौक़ा सबको मिलना चाहिए , उसे भी सोचो , उसका क्या संदेश जाएगा , उसे भी सोचो , सोओ तो नहीं कम से कम , जागो तो ………
Comment by Shyam Mathpal on March 9, 2015 at 9:04pm

आ. विजय शकर जी,

aapki rachna hamaari soch par gahari chot hai. Kuch Pradarshan-lekh aadi se ham apna kartvya nibhte hai. Punha wahi dharra chalta hai. Bahut aabhar-- badhai. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 9, 2015 at 7:14pm

बात यह नहीं है कि क्या घटना है. बात यह है कि उसके मायने क्या हैं ? किसतरह के लोगों की सोच की बात हो रही है ? किस मनस और कैसी मानसिकता के लोगों से हम क्या आशा कर रहे हैं ? उनकी शिक्षा क्या है ?
और् हम ऐसों के बीच किस समाज की चाहना रखते हैं ?
इस पर सोचना अधिक आवश्यक है.
वैचारिक प्रस्तुति पर शुभकामनाएँ

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 9, 2015 at 6:48pm
आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी , रचना की स्वीकृति एवं प्रशस्ति के लिए आभार एवं बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 9, 2015 at 6:47pm
आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , रचना की स्वीकृति के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।

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