For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चोर को चोर कहना गुनाह होता है - डॉo विजय शंकर

हर गुनाह की सजा होती है ,
ये तो पता नहीं ,
पर हर गुनाह पर किसी न किसी का
हक़ होता है , ये पता है।
कभी कोई गुनाहगार मजबूर लाचार भी होता है ,
ये तो पता नहीं ,
पर बड़ा गुनाहगार अक्सर बड़ा ताक़तवर होता है ,
ये सबको पता है।
चोरी तो चौसठ कलाओं में से एक है ,
पता है न ,
पर चोर ताक़तवर हो तो
चोर को चोर कहना गुनाह होता है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 684

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 28, 2016 at 8:55am
आदरणीय सुश्री प्रतिभा पांडे जी , रचना पर उपस्थिति एवं विशद टिप्पणी हेतु आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by pratibha pande on July 27, 2016 at 9:12pm

 सशक्त कथ्य  बुने हैं आपने  अपनी रचना में ,रचना छोटी है पर गहरे मर्म संप्रेषित कर रही है   हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 27, 2016 at 6:53am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , रचना पर उपस्थिति एवं उत्साहवर्द्धक टिप्पणी के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 26, 2016 at 5:27pm

आदरनीय विजय भाई , आपने अनुभव सत्य बात कही है , सच है चोर को चोर कहना गुनाह होता है , अगर वह ताक़तवर है । हार्दिक बधाई आपको ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 26, 2016 at 8:31am
आदरणीय महेन्द्रकुमार जी , रचना को स्वीकृति प्रदान करने और आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार एवं धन्यवाद , ये की जगह यह किया जा सकता है , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 26, 2016 at 8:27am
आदरणीय श्री सुनील जी , कविता पर आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 26, 2016 at 8:27am
आदरणीय सुशील सरना जी , रचना पर आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Mahendra Kumar on July 26, 2016 at 6:33am
//चोर को चोर कहना गुनाह होता है।// एकदम सटीक बात। हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी। क्या 'ये' की जगह 'यह' का प्रयोग किया जा सकता है? सादर!
Comment by shree suneel on July 26, 2016 at 2:57am
छोटी.. मगर सशक्त प्रस्तुति! दिल से बधाई आपको आदरणीय डा0 विजय शंकर सर जी. सादर.
Comment by Sushil Sarna on July 25, 2016 at 6:56pm

चोर को चोर कहना गुनाह होता है।.... यथार्थ को जताती इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आ. विजय शंकर जी। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Abhilash Pandey is now a member of Open Books Online
42 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
14 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
19 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service