For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारा मौन जो कह गया -- डॉo विजय शंकर

दिल में जो था मेरे ,
मैंने कहा , मैं कह गया ॥
सब कुछ कह गया ॥
सुन लिया तुमने ,
और कुछ ,
कुछ भी नहीं कहा ॥
शांत , सब सुन लिया ,
मौन एक , बस , धर लिया।
ये मौन तुम्हारा ,
दीर्घ मौन तुम्हारा ,
कितना कुछ कह गया ,
कितना गहरा उतर गया ||
इसी में डूबता - उतराता रहूंगा
मैं , अब उम्र भर ,
और समझता रहूंगा ,
विवशता तुम्हारी ,
सब सुनना , सुन लेना ,
कुछ न कहना , कुछ भी न कहना ,
एक बोझ , लिए रहना ,
उस बोझ को सहते रहना ||
भारी मजबूरी तुम्हारी ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 509

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 18, 2014 at 7:44pm
सही कहा आपने , मौन बोलता है, तौलता है। आपकी प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद आदरणीय श्रीमती मंजरी पांडे जी , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 18, 2014 at 7:10pm
मौन प्रेम की निगूढ़ भाषा है i और कहीं कहीं तो वाणी रहित भाषा है , मौन अभिव्यक्ति, स्वीकृति है, समझ है, उपेक्षा भी है, तिरस्कार भी है , ख़ुशी है, दुःख है, विवशता है, वेदना है, लाचारी है, …… और भी बहुत कुछ है।
आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए आभार , आदरणीय डॉ o गोपाल नारायण जी, सादर।
Comment by mrs manjari pandey on December 18, 2014 at 6:31pm
बहुत सुन्दर आदरणीय विजय शंकर जी । मौन ही तो बोलता है , तोलता है । बोलता है तो बकता है. ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 18, 2014 at 5:53pm

विजय सर !

मौन प्रेम की निगूढ़ भाषा है i  आपका मौन अंतस में कितना मुखर है i  सादर i

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 18, 2014 at 12:35pm
रचना को स्वीकृति प्रदान करने के लिए और आपकी बधाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on December 18, 2014 at 11:59am

दीर्घ मौन तुम्हारा ,
कितना कुछ कह गया....आदरणीय डॉ विजय शंकर जी सुन्दर रचना पर मेरी भी बधाई स्वीकार करें ! सादर !

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 18, 2014 at 10:20am
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, रचना को स्वीकार करने हेतु आभार , बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 17, 2014 at 10:56pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी सुंदर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 17, 2014 at 9:55pm
बहुत सही कहा आपने जो मौन कहता है वह लाख शब्दों में भी बयान नहीं हो पाता है , न प्रकृति का कहा, न ईश्वर का कहा। , आदरणीय सोमेश कुमार जी ,रचना को पसंद करने हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 17, 2014 at 9:51pm
रचना आपको पसंद आई , आभार , आदरणीय शिज्जु शकूर जी , बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
16 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service