For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1

माना होता है समय, भाई रे बलवान
लेकिन उसको साध कर, बनते कई महान
बनते कई महान, विचारें इसकी महता
यह नदिया की धार, न जीवन उनका बहता
सतविंदर कह भाग्य, समय को ही क्यों जाना
नहीं सही भगवान, तुल्य यदि इसको माना।

2

होते तीन सही नकद, तेरह नहीं उधार
लेकिन साच्चा हो हृदय, पक्का हो व्यवहार
पक्का हो व्यवहार, तभी है दुनिया दारी
कभी पड़े जब भीड़, चले है तभी उधारी
सतविंदर छल पाल, व्यक्ति रिश्तों को खोते
उनका चलता कार्य, खरे जो मन के होते!

3

हँस कर भाई काट लो, दिन जीवन के चार
छोटी-छोटी बात पर, सही न होती रार
सही न होती रार, बुद्धि भी तनती जाती
दूजा हो बेहाल, शान्ति खुद को कब आती
सतविंदर कह मेल, सही होता इस पथ पर
समय सख्त या नर्म, कटे फिर देखो हँस कर।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 412

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 27, 2018 at 12:02am

आदरणीय सतविन्द्र जी, आपकी रचनाओं का स्वर नीतिपरक होने से पाठक को सचेत करता हुआ है.

इनके परिप्रेक्ष्य में एक बात अवश्य कहना चाहूँगा. कि, एक सीमा और वर्ग के आगे ऐसे प्रयास आज बहुत स्वीकार्य नहीं हो पाते. कुण्डलिया छंद के लिए ऐसी शैली एक युग में बहुत प्रचलित थी. किन्तु, युग बदल गया तो लेखन और इसके कथ्य की शैली भी बदल गयी है. आजके छंद आजके अनुसार होने चाहिए ऐसा मेरा मानना है. कोई व्यक्ति सहज रूप से उपदेश सुनना नहीं चाहता. कि, सभी अपनी सुनाने पर हैं. यह अवश्य है कि आपकी प्रस्तुति की भाषा खड़ी हिन्दी है.  

निवेदन : 

बनते कई महान, विचारें इसकी महता .. यह महता क्या है ?  

पक्का हो व्यवहार, तभी है दुनिया दारी  .. दुनियादारी एक शब्द है, भाई. 

एक बात और, 

आपने शीर्षक कुण्डलियाँ रखा है. इसका क्या अर्थ है ? 

एक अच्छी और सहज प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई. 

शुभ-शुभ

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on December 23, 2018 at 1:35pm

आदरणीय राणा बेहतरीन कुण्डलिया के लिए बहुत  बहुत बधाई

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 22, 2018 at 12:16pm

भई वाह कवि महोदय सुन्दर...

Comment by Samar kabeer on December 20, 2018 at 3:16pm

जनाब सतविन्द्र कुमार जी आदाब,अच्छे कुण्डलिया छन्द हुए,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service