For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शान्ति ....

वर्तमान के पृष्ठों पर
विध्वंसकारी स्याही से
भविष्य का सृजन करने वालो
होश में आओ
विनाश की कालिख़ से
कहीं आने वाले कल का
दम न घुट जाए

तुम

नए युग के निर्माण के लिए
संगीनों को
खून की स्याही में डुबोकर
आने वाले कल का
शृंगार करते हो
और हम
पवन के पृष्ठों पर
ॐ शान्ति ॐ शान्ति ॐ शान्ति
के सुवासित सन्देश से
नव युग के निर्माण का
आह्वान करते हैं

विपरीत परिस्थितियां
विपरीत सोच
इक तरफ
जीत के जूनून में छुपा
कहीं हार का ख़ौफ़
दूसरी तरफ
जीत -हार की हदों को तोड़ता
ॐ शान्ति का सन्देश


क्या स्वीकार हो पायेगा
नव युग के निर्माण हेतु
हदों के मिलन का
ये
ॐ शान्ति का
शंखनाद

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 442

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on September 16, 2018 at 12:40pm

आदरणीय विजय निकोर जी, सादर प्रणाम .... सृजन आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 7, 2018 at 5:32pm

आदरणीय Naveen Mani Tripathi जी सृजन की गहनता को अपनी सहमति देती प्रतिक्रिया से अलंकृत करने का दिल से आभार।

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 7, 2018 at 4:59pm

पवन के पृष्ठों पर 

ॐ शान्ति ॐ शान्ति ॐ शान्ति 

के सुवासित सन्देश से 

नव युग के निर्माण का 

आह्वान करते हैं

वाह बहुत सुन्दर आदरणीय । अत्यंत सामयिक हस्ताक्षर ।

Comment by Sushil Sarna on September 7, 2018 at 12:46pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब ..... जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on September 7, 2018 at 12:46pm

आदरणीय मो आरिफ साहिब , आदाब .... बन्दे के सृजन को इतना आत्मीय मान देने का दिल की असीम गहराईयों से शुक्रिया।

Comment by Samar kabeer on September 7, 2018 at 10:23am

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mohammed Arif on September 6, 2018 at 10:29pm

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,

                             आपकी अब तक की सर्वश्रेष्ठ कविता की श्रेणी में इस कविता को रखना चाहूँगा । आज हर देश में शांति की आवश्यकता है । वैश्विक संदेश देती रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं हम कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२जब जिये हैं दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं हम कान देते आपके निर्देश हैं…See More
57 minutes ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service