For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल- इतना भी समझदार नहीं था

वज़्न 221   1221 1221 122

 

दिल लूट के’ कह दे कि खतावार नहीं था

वो इश्क में इतना भी समझदार नहीं था

 

आँखों से’ उड़ी नींद बताती है’ सभी कुछ

कैसे वो’ कहेगा कि उसे प्यार नहीं था

 

क्यों फेंक दिया उसने कबाड़े में मुझे यार

पुस्तक था’ मुहब्बत की’ मैं’ अख़बार नहीं था

 

इस देश में’ इन्साफ की’ दुनिया है निराली  

पकड़ा वो’ गया है जो’  गुनहगार नहीं था

 

जब तक थी’ गरम जेब तो’ नजदीक सभी थे

बदला जो’ समय कोई’ मददगार नहीं था  

 

परदेश का’ रुख उसने’ किया यूँ ही’ नहीं है

कोई भी’ यहाँ उसका’ खरीदार नहीं था

 

लग जाता’ गले से तो’ भुला देता’ गिले सब

मुझको भी’ मुहब्बत से’ तो’ इंकार नहीं था

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 857

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 6, 2018 at 1:06pm

आदरणीया babitagupta  जी  शुभ प्रभातम, हौसला अफजाई ले लिए आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by babitagupta on September 5, 2018 at 6:13pm

बदला जो समय कोइ मददगार नहीं था,बेहरीन पंक्ति।हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय बसंत सरजी।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 5, 2018 at 10:10am

आदरणीय विजय निकोरे जी शुभ प्रभात , आपकी हौसला अफजाई का दिल से शुक्रिया 

Comment by vijay nikore on September 4, 2018 at 2:40pm

गज़ल अच्छी लगी। बधाई, मित्र बसंत जी

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 4, 2018 at 10:23am

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी शुभ प्रभात, दिल से शुक्रिया आपका 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 4, 2018 at 10:22am

आदरणीय अजय तिवारी जी शुभ प्रभातम, आपकी मनभावन प्रतिक्रिया का ह्रदय से आभार 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 4, 2018 at 10:22am

आदरणीय अजय कुमार शर्मा जी शुभ प्रभात, दिल से शुक्रिया आपका 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 4, 2018 at 10:21am

परम आदरणीय समर कबीर जी शुभ प्रभात , आपकी हौसलाफजाई का तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by Shyam Narain Verma on September 3, 2018 at 12:13pm

आदरणीय बसंत कुमार जी प्रणाम , बेहद उम्दा ...बहुत बहुत बधाई आप को | सादर

Comment by Ajay Tiwari on September 3, 2018 at 9:08am

आदरणीय बसंत जी, अच्छे अशआर हुए हैं. हार्दिक बधाई.

 

'इस देश में’ इन्साफ की’ दुनिया है निराली  

पकड़ा वो’ गया है जो’  गुनहगार नहीं था'

ये शेर समकालीन घटनाओं पर एक अच्छी टिप्पणी है.

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया... सादर।"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर साहब,  इस बात को आप से अच्छा और कौन समझ सकता है कि ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसकी…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service