For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आना मेरे दयार में कुर्बत अगर मिले

221 2121 1221 212

कुछ रंजो गम के दौर से फुर्सत अगर मिले ।
आना मेरे दयार में कुर्बत अगर मिले ।।1

यूँ हैं तमाम अर्जियां मेरी खुदा के पास ।
गुज़रे सुकूँ से वक्त भी रहमत अगर मिले ।।2

आई जुबाँ तलक जो ठहरती चली गयी ।
कह दूँ वो दिल की बात इजाज़त अगर मिले ।।3

कर सकती है सुराख़ तेरे आसमान में ।
औरत को थोड़ी आज हिफाज़त अगर मिले ।।4

अब दीन है बचा न वो ईमान ही बचा ।
गिर जाएगा वो शख्स हुकूमत अगर मिले ।।5

कर लूं यकीन फख्र से तेरी ज़ुबान पर ।
मुझको तेरा ज़मीर सलामत अगर मिले ।।6

ऐ जिंदगी मैं तुझसे अभी रूबरू नहीं ।
तुझको गले लगा लूँ मैं मोहलत अगर मिलें।।7

हँसना किसी के दर्द पे अब सीख लेंगे हम ।
कुछ दिन हुजूऱ आपकी सुहबत अगर मिले ।।8

दिल को  सनम का हुस्न गिरफ़्तार कर गया ।
हो जायेगा रिहा वो ज़मानत अगर मिले ।।9

पढ़ लेना आप खुद ही वफाओं की दास्ताँ ।
लिक्खा हुआ हमारा कोई ख़त अगर मिले ।।10

हर आदमी बिकाऊँ है बाज़ार में यहाँ ।
बस शर्त एक है उसे कीमत अगर मिले ।।11

            ---नवीन मणि त्रिपाठी
             मौलिक अप्रकाशित

































Views: 957

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 25, 2018 at 8:56pm

बड़ी ही अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय त्रिपाठी जी..आदरणीय समर जी ने कुछ नए शब्दों ज़िक्र भी किया जो हम जैसों के लिए उपयोगी है।

Comment by Sushil Sarna on August 24, 2018 at 3:49pm

बहुत सुंदर आदरणीय नवीन जी। ... बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बनी है। हार्दिक बधाई।

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on August 24, 2018 at 3:12pm

वाह क्या कहने 

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2018 at 10:53pm

आ0 कबीर सर वास्तविकता से अवगत कराने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सर । आपकी इस्लाह को हमेशा महत्व देता हूँ और देता रहूंगा ।

Comment by Samar kabeer on August 23, 2018 at 9:22pm

आपका क़ाफ़िया 'अत' है, यानी 'त' और "ख़त" में 'त' नहीं "तोय" है, ग़ज़ल चूँकि फ़ारसी विधा है इसलिये उसका विधान भी उर्दू के हिसाब से ही तय होगा,किसी अन्य भाषा से नहीं,वैसे तो कुछ लोग इसे अपने हिसाब से ले लेते हैं,लेकिन जो ग़लत है वो ग़लत ही माना जायेगा,जैसे लोग "शह्र" को 'शहर' ले ही रहे हैं,लेकिन उनके लेने से ग़लत सहीह नहीं हो जाएंगे,आप अगर ग़ज़ल को गम्भीरता से सीखना चाहते हैं तो शुद्ध प्रयोग ही करें, अन्यथा आप भी आम लोगों की तरह होना चाहें तो आप की मर्ज़ी, मेरा काम बताना है सो बता दिया ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2018 at 9:05pm

आ0 कबीर सर सादर नमन और बहुत बहुत शुक्रिया और  ।अति महत्वपूर्ण इस्लाह ।

एक बात समझ में नहीं आई सर एक ख़त उर्दू वाला है जिसका हर्फ़ ए रवी कुछ और पर ख़त शब्द हिंदी की कसौटी पर ख् अत तो बन रहा है । क्या फुर्सत मुहलत खत हिंदी में काफ़िया नहीं बन सकते । 

अब तो ग़ज़लें उड़िया तेलगु पंजाबी और मराठी में भी लिखी जा रही है । ध्वनि तो एक जैसी ही है सर ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2018 at 6:49pm

आ0 कबीर सर सादर नमन और बहुत बहुत शुक्रिया और  ।अति महत्वपूर्ण इस्लाह ।

Comment by Samar kabeer on August 23, 2018 at 6:13pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

कुछ बातें आपके संज्ञान में लाना चाहूँगा ।

'आना मेरे दयार में कुर्बत अगर मिले'

इस मिसरे में 'क़ुर्बत' को "मुहलत" करना उचित होगा ।

'कर सकती है सुराख़ तेरे आसमान में'

इस मिसरे में 'सुराख़' ग़लत है,सहीह शब्द है "सूराख़"इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-

'सूराख़ कर न दे ये तेरे आसमान में'

'लिक्खा हुआ हमारा कोई ख़त अगर मिले'

इस मिसरे में क़ाफ़िया दोष है ।

'हर आदमी बिकाऊँ है बाज़ार में यहाँ'

इस मिसरे में 'बिकाऊँ' को "बिकाऊ" कर लें ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2018 at 2:16pm

आ0 बसंत कुमार शर्मा साहब हार्दिक आभार ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 23, 2018 at 7:42am

वाह, वाह, क्या कहने,  लाजबाब गजल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल करें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
37 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
38 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"मौजूदा जीवन के यथार्थ को कुण्डलिया छ्ंद में बाँधने के लिए बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी. "
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service