For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुदापरस्ती   ... (अतुकांत)

मुअम्मे कुछ ऐसे जो हम जीते रहे

पर ज़िन्दगी भर हमसे बयां न हुए

 

कैसी है तिलिस्मी मुसर्रत की तलाश

मशगूल रखती रही है शब-ओ-रोज़

हसरतें भी देती हैं छलावा मुसल्सल

कहीं दूर  टिमटिमा रहे  चिराग़ का

मुसल्लम: मुसर्रत आख़िर है ही क्या

दे सकता है  हमें सही मिसाल कोई

"ना पाकी" में कैसे जिए  पाक कोई  

 

“ताजपोशी”  का तू इन्तज़ार न कर

खुदापरस्त रह, ताख़ीर और न कर

ज़िन्दगी है तौफ़ीक इसे जी ले ज़रा

सही जीने पर अब सवालात न कर

जवाब मुयस्सर न सही, है मुख़्तसर

“सही” जीने का  इस दुनिया में कहीं

मिला है कोई मुकम्मिल कलाम नहीं

             --------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

..................................................

खुदापरस्ती= ईश्वर-भक्ति

मुअम्मे     = रहस्य, पहेलियाँ

मशग़ूल    = व्यस्त

शब-ओ-रोज़ = रात दिन 

तिलिस्मी   = मायानिर्मित

मुसर्रत      = खुशी

मुसल्सल   = लगातार, निरंतर

मुसल्लम:  = संपूर्ण

ना पाकी     = अपवित्रता

पाक        = पवित्र, साफ़

हयात       = ज़िन्दगी

ताख़ीर     = विलंब

तौफ़ीक    = ईश्वर की कृपा

मुयस्सर    = आसानी से मिलनेवाला

मुख़्तसर   = संक्षिप्त, छोटा

मुकम्मिल  = पूर्ति करने वाला

कलाम     = वाणी

Views: 605

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on August 16, 2018 at 5:19pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुरेन्द्र जी

Comment by नाथ सोनांचली on August 16, 2018 at 1:46pm

आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन। बढ़िया कविता लिखी आपने,, बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by vijay nikore on August 15, 2018 at 7:26pm

सराहना के लिए और मार्गदर्शन के लिए मैं आपका आभारी हूँ, मेरे भाई समर जी। सुधार कर दिए हैं। आपके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना है।

Comment by vijay nikore on August 15, 2018 at 7:25pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया बबीता जी

Comment by babitagupta on August 15, 2018 at 3:33pm

जीवन की यथार्थता को कैसे स्वीकारे ,संदेश देती बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।

Comment by vijay nikore on August 15, 2018 at 2:39pm

इतनी अच्छी सराहना मिलना मेरे लिए पारितोषिक है, शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी। आपका हार्दिक आभार।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 13, 2018 at 5:45pm

 एक साथ कई यथार्थ समेटे जीवन की कड़वी और आदर्श बातें कहकर बहुत से संदेश वाहक सृजन हेतु व अंत में कठिन शब्दार्थ देने हेतु सादर हार्दिक आभार और बधाइयाँ मुहतरम जनाब विजय निकोरे  साहिब।

Comment by Samar kabeer on August 13, 2018 at 3:55pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,उर्दू शब्दों के इस्तेमाल से बहुत ही उम्दा अतुकान्त कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कुछ बातें आपके संज्ञान में लाना चाहूँगा ।

//मशगूल रखती रही है हमें शबोरोज़//

इस पंक्ति में 'शबोरोज़'का अर्थ आपने 'हर रात' लिखा/लिया है,जबकि "शब-ओ-रोज़" का अर्थ होता है 'रात-दिन' ।

//यार नापाक में कैसे जिए पाक कोई//

इस पंक्ति में 'नापाक' की जगह "ना पाकी" लिखना उचित होगा "ना पाकी"अर्थात 'अपवित्रता की हालत' ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
20 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service