For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छटपटाहट

समझ नहीं पाता हूँ 

उदासी से भरी गुमसुम निस्तब्धता

अनदीखे  अन्धेरे  में  वेदना  का 

चारों ओर सूक्षम समतल प्रवाह

पास हो तुम, पर पास होकर भी

इतनी  अलग-सी, व  दूर-दूर

यह ठोस अन्धकारमय एकांत

ऐसे में तुम्हारी असीम अन्यमनस्कता

गले में  पत्थर-सी  अटक  जाती  है

मिलते हैं, पर है यह विचित्र अनुभव

अब कोई बात तक नहीं होती

मुझसे ... न तुमसे

कभी लगता है बस

सुबक रही हैं, सरक रही हैं

हमारी परछाइयाँ एक साथ

शब्द हमारे ... बर्फ़ के टुकड़ों-से

उफ़्फ़ ! यह अपरिसीम दूरियाँ

यह बेचैन करती निस्तब्धता

रक्तिम घावों से उपजी अन्यमनस्कता

आखिर यह शीशा तो नहीं हैं कोई

जो एक हथोड़ा मार तोड़ दूँ इनको

इन स्थितियों के बीच जी-जी कर

अब सुन्न-सा

दो पाटों के बीच मानो पिस कर

अन्दर-बाहर चूर, आशंकाहत इतना

कि कल तो किसी की चिता पर भी

मेरे आँसू न बहे

क्या करूँ ! !

क्या  इतना  सूख  गया  हूँ  मैं  

खिसक गई है मुझसे दूर मानो

आक्रांत आत्मा भी अब

बिना ठाँव के अवसन्न मन के

निचले तल में दुगुना सदमा

टूट कर गिरे हुए तारे-सा 

कोई  दर्द  भरा  सपना

गहन अनुरोध करती-सी

भीतर की अनदीखी मजबूरियाँ

ऐसा क्यूँ हुआ !

छटपटाहट भयानक है

          ------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 826

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on August 12, 2018 at 2:07pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी। 

Comment by vijay nikore on August 12, 2018 at 2:06pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय विजय जी

Comment by vijay nikore on August 12, 2018 at 2:05pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय तस्दीक जी

Comment by vijay nikore on August 12, 2018 at 2:04pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया नीलम जी

Comment by vijay nikore on August 12, 2018 at 2:03pm

भाई समर जी, आपका यहाँ आना और पर्तिक्रिया देना मेरा मनोबल बढ़ाता है। आपका हार्दिक आभार, भाई समर जी।

Comment by vijay nikore on August 12, 2018 at 2:01pm

आपका हार्दिक आभार, आदरणीय नरेन्द्रसिंह जी

Comment by vijay nikore on August 12, 2018 at 2:01pm

आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मोहित जी।

Comment by narendrasinh chauhan on August 11, 2018 at 10:28am
खुब सुन्दर रचना
Comment by Mohammed Arif on August 8, 2018 at 12:43pm

आदरणीय विजय निकोर जी आदाब,

                   गंभीर , प्रभावशाली और सशक्त रचना । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 7, 2018 at 8:33pm
आदरणीय विजय निकोर जी , बहुत सुन्दर प्रस्तुति. छटपटाहट को आपने बहुत गहराई के साथ प्रस्तुत किया है। विवशता और व्यथा की इस अभिव्यक्ति पर बधाई. सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service