For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 1212 22/112/211
कुछ नहीं सूझता कई दिन से
जाने क्या हो रहा कई दिन से?

है अलग ये जुबाँ निगाहें अलग
क्यों नहीं राबता कई दिन से।

हो लबों पे हँसी भले कितनी
मन रहा डगमगा कई दिन से।

जल रहा दिल कोई सही में कहीं
गर्म लगती हवा कई दिन से।

खुद पे खुद का नहीं रहा काबू
यूँ चढ़ा है नशा, कई दिन से।

मौलिक अप्रकाशित

Views: 703

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रक्षिता सिंह on June 15, 2018 at 3:15pm

आदरणीय सतविन्द्र जी नमस्कार, बहुत ही बेहतरीन शेर

"खुद पे खुद का नहीं रहा काबू
यूँ चढ़ा है नशा, कई दिन से।" बहुत-बहुत मुबारकबाद ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 13, 2018 at 7:50pm

आदरणीय महेंद्र कुमार जी सादर नमन! उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के लिए सादर आभार। प्रयास करता हूँ और दुरुस्त करने का। सादर

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 13, 2018 at 7:49pm

आदरणीया नीलम उपाध्याय जी सादर वन्दन! उत्साहवर्धन के लिए सादर हार्दिक आभार।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 13, 2018 at 7:47pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ,सादरनमन! उत्साहवर्धन के लिए सादर हार्दिक आभार

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 13, 2018 at 7:47pm

आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी सादर नमन! हार्दिक आभार उत्साहवर्धन के लिए। व्यस्तता के कारण न रचनाकर्म हो रहा है न अध्ययन। यही वजह रही कि ओबीओ पर किसी भी आयोजन में सम्मिलित नहीं हो पाया। प्रयास रहेगा कि इस माह के उत्सवों में भाग लूँ। सादर

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 13, 2018 at 7:44pm

आदरणीय बसन्त कुमार शर्मा जी सादर नमन, हार्दिक आभार उत्साहवर्धन के लिए।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 13, 2018 at 7:42pm

आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी ,अनुमोदन और उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार, नमन!

Comment by Mahendra Kumar on June 13, 2018 at 12:26pm

अच्छी ग़ज़ल है आदरणीय सतविन्द्र जी पर मिसरे अभी और बेहतर हो सकते हैं. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Neelam Upadhyaya on June 13, 2018 at 11:52am

आदरणीय सतविंदर जी, नमस्कार । बेहतरीन गजल हुई है । मुबारकबाद कुबूल करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 13, 2018 at 6:40am

आ. भाई सतविंद्र जी, अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
20 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service