For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्षणिकाएं :

१.
तूफ़ान का अट्टहास
विनाश का आभास
काँपती रही
लौ दिए की
झील की लहरों पर
देर तक
आंधी के साथ हुए
जीवन मृत्यु के संघर्ष को
याद करके

२.
श्वास
नितांत अकेली
देह
चिता की सहेली
जीवन
अनबुझ पहेली

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 539

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on May 29, 2018 at 7:41pm

आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी सृजन के भावों पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on May 29, 2018 at 7:41pm

आदरणीय विजय निकोर जी , सादर प्रणाम ... सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on May 29, 2018 at 8:34am

आदरणीय सुशील सरना जी सादर अभिवादन कम से कम शब्दों में जो चित्र आपने उकेरा है लाजबाब है ,बेहतरीन भावपूर्ण सर्जना के लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by Sushil Sarna on May 25, 2018 at 5:36pm
आदरणीया नीलम उपाध्याय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।
Comment by Sushil Sarna on May 25, 2018 at 5:36pm
आदरणीया बबिता गुप्ता जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का आभारी है।
Comment by Sushil Sarna on May 25, 2018 at 5:36pm

आदरणीय शेख उस्मानी साहिब, आदाब। ... सर सृजन के भावों को आत्मीय स्नेह देने का दिल से आभार।

Comment by Neelam Upadhyaya on May 24, 2018 at 3:48pm

आदरणीय सुशिल सरना जी, नमस्कार।  जीवन की सत्यता को दर्शाती सूंदर क्षणिकाएं।  रचना की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई।

Comment by babitagupta on May 24, 2018 at 1:40pm

विचारोत्तेजक पंक्तियाँ सत्यता को उजागर करती,बधाई व्विकार कीजिये आदरणीय सर जी.

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 24, 2018 at 1:33am

बहुआयामी मार्गदर्शक/विचारोत्तेजक क्षणिकाओं के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब सुशील सरना  साहिब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service