For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मजदूर ...

अनमोल है वो
जिसे दुनिया
मजदूर कहती है

इसी के बल से
धरातल पर
ऊंचाई रहती है

कहने को
मेरुदंड है वो
धरा के विकास का

आसमानों को छूती
अट्टालिकाएं बनाने वाला
जो
तिनकों की झोपड़ी में रहता है
वो
सृजनकर्ता
मजदूर कहलाता है

हर आज के बाद
जो
कल की चिंता में डूबा रहता है
कल का चूल्हा
जिसकी आँखों में
सदा धधकता रहता है
कम होती
रोटियों की गोलाई
जिसकी मजदूरी को
धिक्कारती है
भूख का तांडव
जिसके चेहरे पे
सदा नज़र आता है
सच
वो सृजनकर्ता 
मजदूर कहलाता है

उसकी समझ में नहीं आता
आखिर ये मजदूर दिवस
क्यों आता है ?
जीवन
जिस ढर्रे पर होता है
उसी पर चलता रहता है
धन और तन में
जंग होती रहती है
कलनी,कुल्हाड़ी,फावड़ा ,परात
यही तो उसकी जंग के साथी हैं
इन्हीं को वो अपनी व्यथा सुनाता है
इन्हीं के संग उठता है
इन्हीं के संग सो जाता है
कुछ भी तो नहीं बदलता
मजदूर दिवस पर भी
एक मजदूर
सिर्फ़
मजदूर ही कहलाता है

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 460

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on May 5, 2018 at 2:46pm

आदरणीया बबितागुप्ता जी सृजन की गहनता को आत्मीय मान देने का दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on May 5, 2018 at 2:46pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब ... आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ , हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on May 5, 2018 at 2:45pm

आदरणीया ममता जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से शुक्रिया।

Comment by babitagupta on May 5, 2018 at 12:28pm

आदरणीय सरजी,मजदूरों की दशा का सटीक शब्दों का वर्णन किया,साथ ही मजदूर दिवस पर अच्छा व्यंग किया,प्रस्तुत रचना पर बधाई स्वीकार कीजिएगा.

Comment by Samar kabeer on May 5, 2018 at 11:40am

जनाब सुशील सरना जी आदाब,मज़दूर दिवस पर बहुत उम्दा कविता हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mamta on May 5, 2018 at 10:43am
आदरणीय सुशील जी बहुत सुंदर विचार सही ही तो है ..एक दिवस भी मज़दूरों को चैन नहीं ना उससे लाभ .. बहुत ठीक आंकलन .
सादर ममता

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service