For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विहग निज चोंच में देखो,,,,,,

विहग निज चोंच में देखो,,,,,,

विहग निज चोंच में देखो, अहा! मछली दबोचे है|

फँसी खग कंठ में मछली, पड़े तन पर खरोंचे हैं ||
विहग औ मीन दोनों इक, सरीखे ही अबोले हैं |
मगर इक हर्ष दूजी भय, सँजोये आँख बोले हैं |१ |

उदर की भूख मिट जाए, यही चाहत विहग पाले |
वहीं पर मीन के देखो, पड़े हैं जान के लाले ||
सलामत जान की अपने, खुदा से चाहती मछली |
निवाला छूट ना जाए, यही मन सोचती बगुली |२ |


मौलिक और अप्रकाशित


-सत्यनारायण सिंह

Views: 616

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on April 5, 2018 at 1:23pm

आदरणीय ब्रजेश कुमार जी  प्रस्तुति पर उपस्थित होकर प्रोत्साहित करने के लिए आपका हृदय से आभार प्रकट करता हूँ  
जी आदरणीय आपकी पारखी नजर की जितनी प्रसंशा की जाय कम है आदरणीय आपने बिलकुल सही कहा है पड़े यह शब्द मुझे भी खटक रहा था किन्तु दुविधा में उस ऒर अधिक ध्यान नहीं दिया.  आपके इक इशारे ने मेरी दुविधा का निराकरण कर दिया है. मेरे विचार से दिखे या फिर लगे शब्द यहाँ पर उचित होगा। इस सन्दर्भ में आपके एवं गुणीजनों के राय की प्रतीक्षा रहेगी .सादर धन्यवाद 

Comment by Satyanarayan Singh on April 5, 2018 at 12:55pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी  प्रस्तुति पर उपस्थित होकर प्रोत्साहित करने के लिए आपका हृदय से आभार प्रकट करता हूँ 

Comment by Satyanarayan Singh on April 5, 2018 at 12:54pm

आदरणीय  विजय निकोरे जी  प्रस्तुति पर उपस्थित होकर प्रोत्साहित करने के लिए आपका हृदय से आभार प्रकट करता हूँ 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 4, 2018 at 5:02pm

अच्छी रचना है आदरणीय..छन्दों की बहुत जानकारी नहीं है..लेकिन ऊपर से दूसरी पंक्ति में खरोचें के साथ पड़े कुछ जम नहीं रहा..सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 4, 2018 at 1:03pm

बहुत सुंदर रचना हुई है हार्दिक बधाई ।

Comment by vijay nikore on April 4, 2018 at 9:29am

सुन्दर रचना के लिए बधाई

Comment by Satyanarayan Singh on April 2, 2018 at 11:55pm

आदरणीय समर कबीर जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर प्रोत्साहित करने के लिए हृदय से आपका आभारी हूं आदरणीय

Comment by Samar kabeer on April 2, 2018 at 12:26pm

जनाब सत्यनारायण सिंह जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Satyanarayan Singh on March 31, 2018 at 10:15pm

आदरणीय बसंत कुमार जी सादर 

      आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी हेतु आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ. 

Comment by Satyanarayan Singh on March 31, 2018 at 10:13pm

आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी सादर 

      रचना पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से  आभारी हूँ.  

      आदरणीय   विधाता  छंद में रचना करने का मेरा यह प्रथम प्रयास ही है 

      सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service