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बूढ़ी माँ ...


अपनी आँखों से
गिरते खारे जल को
अपनी फटी पुरानी साड़ी के
पल्लू से
बार बार पौंछती
फिर पढ़ती
गोद में रखी
रामायण को
बूढ़ी माँ

व्यथित नहीं थी वो
राम के बनवास जाने से
व्यथित थी वो
अपने बिछुड़े बेटे के ग़म से
जिसका ख़त आये
ज़माना बीत गया
चूल्हा रोज जलता
उसके नाम की
रोटी भी रोज बनती
रोज उसे खिलाने की प्रतीक्षा में
रोटी हाथ में लिए लिए
सो जाती
बूढ़ी माँ

राम की रामायण में
राम लौट आया था
जाने मेरा राम
कब लौटेगा
लौटेगा भी या नहीं
या फिर लौटेगा तो
इस प्रतीक्षा करती
कौशल्या के
चले जाने के बाद
यही सोचती
रामायण में डूबी
कभी
गीली आँखों से
धुंधली अक्षरों को पढ़ती
तो कभी
खुले द्वार पर
अपनी श्वास और
प्रतीक्षा की दूरी को मिटाती
अधमुंदी आँखों में
सो जाती
बूढ़ी माँ

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 594

Comment

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Comment by Sushil Sarna on March 28, 2018 at 8:13pm

आदरणीय बृजेश जी आपकी मन मुदित करती मधुर प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on March 28, 2018 at 8:09pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on March 28, 2018 at 8:09pm

आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on March 28, 2018 at 8:09pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब आदाब सृजन आपकी मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on March 28, 2018 at 8:09pm

आदरणीय तेज वीर सिंह जी सृजन को आपकी आत्मीय प्रशंसा से पोषित करने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on March 28, 2018 at 8:09pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब, सृजन को अपनी मनोहारी प्रशंसा से अलंकृत करने का दिल से आभार।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 27, 2018 at 7:24pm

उफ्फ्फ...क्या भाव  भरे हैं..बेहतरीन

Comment by नाथ सोनांचली on March 27, 2018 at 1:06pm

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। बहुत बढ़िया और मार्मिक रचना बूढ़ी माँ। बहुत खूब। इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on March 27, 2018 at 8:33am
आदरणीय सरना साहब आपकी उम्दा सोच को सलाम ,बहुत ही सुंदर कविता है बधाई हो
Comment by Mohammed Arif on March 27, 2018 at 8:14am

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,

                               बेटे की प्रतीक्षा में एक माँ की बेचैनी को दर्शाती बेहतरीन कविता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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