For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुंतज़िर मुंतज़िर रहा

मुंतज़िर मुंतज़िर रहा 

मूरत बनाई थी जो

मुस्सवर ख़्यालों में

अब तक वह पाक

हसीन खवाब ही रही

रातों अँधेरे में कभी

दिन के उजाले में भी

रोज़ आई मुस्तकिल:

हलकी-सी मुस्कराई

बिना सलाम चली गई

मैं डरता रहा थर-थर

तस्वीर की तकदीर से...

 

मैं खुश था बहुत  

बाहरआई तो सही

वह उस तस्वीर से

पर मिलते ही लगा

वह खफ़ा थी ज़रा

मुझसे ही हुई होगी

ज़रूर कोई खता ...

आँखें खुलते ही क्यूँ

वह मुंतज़र बाहें

इन मुंतज़िर बाहों से 

हो गईं इतनी पराई ...

        ------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

मुस्सवर          = सचित्र, चित्रित

मुस्तकिल:       = निरंतर

मुंतज़र            = जिसकी प्रतीक्षा करी जा रही हो

मुंतज़िर           = प्रतीक्षक

Views: 919

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on March 25, 2018 at 9:38pm

 सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ भाई।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 25, 2018 at 5:42pm

आ. भाई विजय जी, एक और बेहतरीन रचना का रसास्वादन कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 25, 2018 at 9:50am

एक और भावों से लबरेज रचना..बहुत सुन्दर आदरणीय

Comment by Mohammed Arif on March 24, 2018 at 12:33pm

आदरणीय विजय निकोर जी आदाब,

                              बहुत ही ख़ूबसूरत ख़्यालों के देश में विचरण करने को निकली कविता । पढ़कर मज़ा आ गया । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by vijay nikore on March 23, 2018 at 5:47pm

आपका हार्दिक आभार, आदरणीय श्याम जी।

Comment by Shyam Narain Verma on March 23, 2018 at 5:43pm
अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service