For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पिघलती हुई मोम

पिघलती हुई मोम

(अतुकांत)

हम दोनों .... दो छायाएँ

अन्धकारमय एकान्त में

फूटे हुए बुलबुलों-सी

सुन्न हो रही भावनाएँ

कितनी नदियों का संगम

है दर्द का सागर भीतर

वेदना का बढ़ता भंवर

उसमें आप-बीती हमारी

महत्वाक्षांएँ, बेसबब  बातें

आँसू ... मुझसे बढ़ कर तुम्हारे

तू, जो मेरे कंधे पर सिर रख कर

आँसुओं में सब कुछ बहा देती थी

आँसुओं की नमी अभी आँखों में

सतहों की परतों के नीचे क्या है

संचित मृत्यु ?

"कब", "कहाँ", "क्या" हुआ, सब पता है

बाकी है बस  एक छोटा-सा बड़ा सवाल

हुआ जो हुआ, सो हुआ, वह  क्यूँ  हुआ

अभाव में तुम्हारे अब मुझको

सभी कुछ प्र्श्नवाचक-सा लगता है

तुम्हारे लिए सुख की मनोती मांगते भी मैं

जब वेदना को प्रथक नहीं कर पाता

अंधकूप में सिर पटक कर मानो

प्यार मरने लगता है ....

अंधकारमय एकान्त में

बिखर रहे हैं अब धुँधला-रहे

पिघलती मोम-से मेरे

मौन-स्वर, मेरे मूक विलाप

तुम चले गए क्यूँ उस पार मेरे प्यार

गुमसुम, बंद कर मेरी आँखों के द्वार

                 ------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on May 9, 2018 at 7:55am

आपका हार्दिक आभार,आदरणीय सुरेन्द्र जी

Comment by vijay nikore on May 9, 2018 at 7:53am

आपका हार्दिक आभार, आदरणीय भाई लक्ष्मण जी

Comment by vijay nikore on May 9, 2018 at 7:52am

  मुझको इतना मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, भाई समर जी।

Comment by vijay nikore on May 9, 2018 at 7:51am

आपका हार्दिक आभार, जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब, आपने मुझको बहुत मान दिया है

Comment by vijay nikore on May 9, 2018 at 7:48am

आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मोहित जी

Comment by नाथ सोनांचली on May 7, 2018 at 5:41pm

आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन। बढिया अतुकांत लिखा आपने, इस प्रभावशाली रचना पर मेरी बधाई स्वीकार करें।सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 7, 2018 at 11:30am

आ. भाई विजय जी, सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on May 6, 2018 at 10:31am

जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब, बहुत सुंदर और प्रभावशाली कविता हुई है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 6, 2018 at 7:23am

बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय  विजय निकोरे साहिब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service