For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


अलमारी में रखे शब्दकोष के पन्ने अचानक फड़फड़ाने लगे । हो सकता है ये उनके अंदर की बेचैनी या घबराहट हो । " सहिष्णुता " शब्द ने "संस्कार " से अपनी व्यथा बताते हुए कहा -" मेरे अर्थ को लोग भूल से गए हैं । मैं उपेक्षित जीवन जी रहा हूँ । मेरे मर्म को कोई जानना नहीं चाहता । बुरा तो तब और लगता है जब मेरे आगे "अ" जोड़कर " असहिष्णुता " बनाकर देश में बवाल मचाया जा रहा है ।"
" सच कहती हो " सहिष्णुता" बहना । मेरी भी हालत अनाथों की तरह हो गई है । कोई मुझे अपनाने को तैयार ही नहीं है ।" "संस्कार "बोला ।
दोनों के वार्तालाप को सुन " देशभक्ति " पीड़ा से कराहती हुई बोली -" मेरी हालत तो और भी ख़राब है । आज़ादी के आंदोलनों में साध्य थी मगर आजकल मैं साधन बनकर रह गई हूँ .......।" इतना कहना ही था कि अचानक ज़ोर-ज़ोर से उत्तेजक नारों की आवाज़ें सुनाई दी । शायद दंगाई थे । देखते ही देखते उन्होने आगजनी शुरू कर दी । शब्दकोष भी चपेट में आ गया । " सहिष्णुता " , " संस्कार " और " देशभक्ति " को जलता देख पन्ने पर जलने से बची "हिंसा " रावणी हँसी हँस रही थी ।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 846

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on March 11, 2018 at 6:22pm

आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब आदाब , वाकई आपकी टिप्पणी से मेरा संबल दुगुना हो गया है । आपकी टिप्पणी। ही इस लघुकथा की सफलता को प्रदर्शित करती है । लघुकथा के अनुमोदन और उत्सासवर्धन का बहुत-बहुत दिली शुक्रिया ।

Comment by Mohammed Arif on March 11, 2018 at 6:19pm

आपकी त्वरित टिप्पणी पाकर आश्चर्यचकित हूँ । लघुकथा के अनुमोदन और उत्साहवर्धन का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी ।

Comment by Mohammed Arif on March 11, 2018 at 6:16pm

अद्भुत और विस्मयकारी टिप्पणी पाकर धन्य हो गया । यह टिप्पणी न होकर इस लघुकथा पर सफल लघुकथा होने की मोहर है । मेरा लेखन सफल हो गया । हृदयतल से बहुत-बहुत हार्दिक आभार आदरणीय रवि प्रभाकर जी ।

Comment by surender insan on March 11, 2018 at 4:31pm

वाह बेहद उम्दा लघुकथा बहुत बहुत बधाई हो जी। सादर नमन।

Comment by Samar kabeer on March 11, 2018 at 3:07pm

जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब, हमेशा की तरह एक शानदार और नायाब लघुकथा,बहुत ख़ूब वाह क्या कहने,बहुत ही सधी हुई,उम्दा कथानक,बहतरीन शिल्प,इस प्रस्तुति पर दिल से ढेरों बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 11, 2018 at 10:11am

सही समय पर दस्तक देती उत्कृष्ट लेखनी ! तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब इस बेहतरीन प्रतीकात्मक विचारोत्तेजक सृजन के लिए।

आखरी वाक्यांश में कुछ स्पष्टता बढ़ाई जा सकती है मेरे विचार से।

// पन्ने पर जलने से बची "हिंसा " रावणी हँसी हँस रही थी ।// .. को यदि इस तरह कहें, तो? :

=// जलने से बचे अपने पन्ने पर "हिंसा" तो रावण माफ़िक हँस रही थी ।// मार्गदर्शन निवेदित।

Comment by Ravi Prabhakar on March 11, 2018 at 9:48am

वाह! वाह! वाह! बहुत ही शानदार लघुकथा बनी है । कल्‍पना की पराकाष्‍ठा । / अलमारी में रखे शब्दकोष के पन्ने अचानक फड़फड़ाने लगे ।/ लघुकथा की शुरूआत भी बहुत ही सधे ढंग से हुई है ।हार्दिक बधाई स्‍वीकारें आरिफ भाई जी!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
15 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
21 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
23 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service