For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (जो अज़मे तर्के उल्फ़त कर रहा है )

(मफाईलुन-मफाईलुन-फऊलन )

जो अज़मे तर्के उल्फ़त कर रहा है|
ये दिल फिर उसकी हसरत कर रहा है |

लगाए ज़ख़्म देने वाला मरहम
ये दिल यूँ ही न हैरत कर रहा है |

वफ़ा मिलती कहाँ है हुस्न में वो
जिसे पाने की जुरअत कर रहा है |

दिले नादां दगा जिसकी है फ़ितरत
उसी से तू महब्बत कर रहा है |

मरीज़े इश्क़ की लौटी हैं साँसें
कोई शायद अयादत कर रहा है |

मिलेंगे हश्र में यह बोल कर वो
मुझे कूचे से रुख्सत कर रहा है |

कोई तस्दीक़ उम्मीदे वफ़ा में
दगाबाज़ों की मिन्नत कर रहा है |


जुरअत--हिम्मत , अयादत --बीमार को देखना
मिन्नत --खुशामद

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 756

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 25, 2018 at 4:58pm

जनाब सलीम रज़ा साहिब , ग़ज़ल पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला  अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by SALIM RAZA REWA on February 25, 2018 at 4:27pm

वाह  वाह जनाब तस्दीक अहमद साहिब,

क्या उम्दा गज़ल हुई है.. मुबारक़बाद क़ुबूल करें 

दिले नादां दगा जिसकी है फ़ितरत 
उसी से तू महब्बत कर रहा है |

मरीज़े इश्क़ की लौटी हैं साँसें 
कोई शायद अयादत कर रहा है |

मिलेंगे हश्र में यह बोल कर वो 
मुझे कूचे से रुख्सत कर रहा है |

कोई तस्दीक़ उम्मीदे वफ़ा में 
दगाबाज़ों की मिन्नत कर रहा है |

.. वह जिंदाबाद 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 24, 2018 at 6:58pm

जनाब रोहित साहिब, ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 24, 2018 at 6:57pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 24, 2018 at 6:56pm

मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on February 24, 2018 at 10:50am

मिलेंगे हश्र में यह बोल कर वो 
मुझे कूचे से रुख्सत कर रहा है .....वाह्ह्ह्ह बहुत खूब मुबारकबाद कुबूल फ़रमायेhttp://malhars.in

Comment by नाथ सोनांचली on February 23, 2018 at 4:10am

आद0 तस्दीक अहमद जी सादर अभिवादन। बहुत उम्दा ग़ज़ल कही आपने। इस शैर पर अतिरिक्त तालियां।

मरीज़े इश्क़ की लौटी हैं साँसें 

कोई शायद अयादत कर रहा है |

हरेक शेर दमदार। शैर दर शैर मुबारकवाद कुबूल करें।

Comment by Samar kabeer on February 22, 2018 at 9:23pm

जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 22, 2018 at 7:41pm

जनाब श्याम नारायण साहिब ,आपकी ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Shyam Narain Verma on February 22, 2018 at 5:40pm
बहूत उम्दा हार्दिक बधाई l सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
4 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service