For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहा गया है कि,
साईं इतना दीजिए जा मै कुटुम समाय।
मै भी भूखा न रहूं , साधु न भूखा जाय।।
उनका भी यही हाल था न संपन्न थे न विपन्न , मगर कुलीन थे, तो कुल की पगड़ी के बोझ से उनका सर इस अर्थयुग में हमेशा झुका ही रहता था ।
कुलीन लोगों की तरह उनकी नाक भी बहुत सख्त थी । इतनी सख्त की एकदिन उन्होंने नाक मारकर दिनेश ताँती की बेटी का सर फोड़ दिया था । जिसका उनके भाई को आज भी गम है।
फिर एकदिन उनकी नाक पर बेटी आ बैठी । सख्त नाक बेटी के बोझ से झुकने लगी , इतना कि कभी भी टूटकर गिर सकता था।
अर्थाभाव में ऐसे ही सर झुका रहता था ऊपर से नाक भी झुकने लगी थी ऐसे में दिमाग का संतुलन बिगड़ने लगा था ।
विपरीत समय में अपने गम को भूलकर भाई ने ही साथ दिया। आकर कंधे पर हाथ रखा और फिर उन्होंने तत्काल नाक कटा डाली ।
अब वह सर उठाकर चलते हैं आश्चर्य जिस कुल की चिंता में वह घुले जा रहे थे वह न दुख में न रोने आया न सुख में हँसने ।
अब उन्हें इस बात की चिंता भी नहीं है उन्होंने नये कुल की स्थापना कर दी है । बस भाई के सामने आने पर नजरें चुरा लेते हैं ।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 530

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 23, 2018 at 11:33am

भाई कुमार गौरव जी बहुत ही बढ़िया कताक्ष् है इस रचना में प्रस्तुतीकरण बहुत भाया काबिले तारीफ़ इस रचना पर ह्रदय से बधाई सादर 

Comment by नाथ सोनांचली on February 22, 2018 at 6:13pm

आद0 कुमार गौरव जी सादर अभिवादन। बढिया लघुकथा कही आपने। बधाई स्वीकार कीजिये। सादर

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on February 21, 2018 at 7:18pm

बहुत बढ़िया कटाक्ष| हार्दिक बधाई इस बेहतरीन लघुकथा के लिए आ कुमार गौरव जी| 

Comment by Kumar Gourav on February 21, 2018 at 5:54pm
Mohammad Arif साहब , sheikh Shahzad Usmani साहब , Nita kasar जी , Samar Kabeer साहब हौसला अफजाई के लिए आप सभी का दिली शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on February 21, 2018 at 5:50pm

जनाब कुमार गौरव जी आदाब,बहतरीन लघुकथा,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Nita Kasar on February 21, 2018 at 4:36pm

भाई का हाथ,और साथ ने नाक की परवाह से मुक्त कर दिया उम्दा कथा के लिये बधाई आद० कुमार गौरव जी ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 20, 2018 at 11:49pm

बहुत ही उम्दा कटाक्षपूर्ण रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय कुमार गौरव जी।

Comment by Mohammed Arif on February 20, 2018 at 8:51pm

वाह! वाह!! बहुत ही बेहतरीन और कटाक्षपूर्ण लघुकथा । मज़ा आ गया इस लघुकथा को पढ़कर । सच है, जिस नाक को लेकर चला जाता है या जिन आदर्शों को लेकर हम जीवन यापन करने की कोशिश करते हैं वो आदर्श परिस्थितियों के आगे घुटने टेक देते हैं । सारे आदर्श धराशायी हो जाते हैं ।

                     ओबीओ मंच पर आपका स्वागत हैं क्योंकि मैं पहली बार आपकी रचना से संवाद कर रहा हूँ । सशक्त लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service