For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परिवर्तित चलन( लघुकथा)

वैलेंटाइन बाबा ने अपने शागिर्द से कहा," मेरा मन कर रहा है भारत भूमि का भ्रमण करूँ, सुना है वहां वैलेंटाइन डे बहुत लोग मनाते हैं|"
" सर! यह विचार आपके मन में कैसे आया? वैलेंटाइन डे तो पश्चिमी देशों का त्यौहार है और आप  तो पूरब में जाने का कह रहे हो!"
"हाँ! सुना है वहाँ  बच्चे एक दूसरे को लाल गुलाब देते है और अब तो वहाँ  भी लिविंग -रिलेशनशिप को मान्यता मिल गयी है तो लोग इसीको प्यार का नाम.....  यह कहते हुए वे चुप हो गए है|
"क्या हुआ सर? आप चुप क्यों हो गये? आपकी इच्छा है तो चलिये एक चक्कर हम भारत का भी लगा लेते हैं ...|"
दोनों भ्रमण  करने गये... रास्ते भर में दोनों चुप थे| वापिस अपने लोक में जाते हुए वैलेंटाइन बाबा ने अपने शागिर्द से कहा," क्या यह मेरी भूल थी.......?"
"क्या ..... ! कैसी .........!" शागिर्द ने पूछा| 
"रोम में जब सम्राट क्लोडियस ने युवा सैनिकों को शादी करने के लिए मना कर दिया था ....... क्या तुम जानते हो...... उस सम्राट का यह मानना था कि सैनिक गर विवाहित हो तो वह अपने कर्तव्यों के प्रति सजग नहीं रहता, उसका ध्यान उसके परिवार की ओर खींचता है..... ऐसे समय में मुझे लगा था कि ऐसा करना न्याय नहीं यह कुदरत के नियमों के खिलाफ है ................|" और कहते कहते वे फिर उदास हो गये|
"ओह! ... आपके कहने का तात्पर्य है कि ऐसे में आपने विद्रोह कर उन युवाओं का विवाह करवाया.....|"
" हाँ...... अब देखो समय कितना बदल गया है..... कल के बच्चों में प्रेम था पर वे विवश किये गये थे ...... अपने प्रेम का इजहार करने के लिए ..... और आज ..... इनको देखो अश्लील हरकतों को प्रेम कहने लगे हैं .........| काश! ......................."


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 524

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 18, 2018 at 6:58pm

वाह वाह खूब कही आदरणीया..

Comment by रक्षिता सिंह on February 18, 2018 at 3:07pm

आदरणीया रौऩक जी , बहुत सुन्दर लघुकथा।

हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on February 15, 2018 at 2:40pm

धन्यवाद् जनाब तस्दीक साहब |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on February 15, 2018 at 2:39pm

धन्यवाद आ नीरज मिश्र जी , पर ये लघुकथा है लेख नहीं | सादर\

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on February 15, 2018 at 2:38pm

सादर धन्यवाद आ विजय निकोरे सर| 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on February 15, 2018 at 2:38pm

धन्यवाद आदरणीय शहजाद उस्मानी जी|

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 14, 2018 at 7:46pm

मुहतर्मा कल्पना साहिबा , आज की पीढ़ी को संदेश देती सुंदर लघुकथा
हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ |

Comment by Neeraj Nishchal on February 14, 2018 at 11:05am

बहुत अच्छा लेख है पर क्या किया जा सकता है कुछ न कुछ कमियां हमेशा ही रहती हैं दुनिया में , एक ठीक करो तो दूसरी निर्मित हो जाती है 

Comment by vijay nikore on February 14, 2018 at 10:04am

इस अच्छी रचना के लिए दिल से बधाई, आ० कल्पना जी। 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 14, 2018 at 9:51am

किंवदंती को वर्तमान से जोड़ते हुए बढ़िया रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना भट्ट जी। बिंदुओं को कम किया या हटाया जा सकता है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service