For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- मेरा घर भी कितना हवादार है।

बह्र - फऊलुन फऊलुन फऊलुन फउल

न छत है न कोई भी दीवार है।
मेरा घर भी कितना हवादार है।

हुनरमन्द होकर भी बेकार है।
अजीबोगरीब उसका किरदार है।

जिसे दूर तक सूझता ही नहीं,
वही इस कबीले का सरदार है।

भले ही जुदा धड़ से सर होगया,
अभी भी मेरे सर पे दश्तार है।

वो शेखी पे शेखी बघारे तो क्या,
सभी जानते हैं वो मुरदार है।

दवा का असर कोई होगा नहीं,
वो तन से नहीं मन से बीमार है।

अदालत से बेशक बरी हो गया,
मग़र आदमी वो गुनहगार है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 761

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 2, 2018 at 8:33pm

बहुत ही शानदार ग़ज़ल कही आदरणीय..सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 2, 2018 at 3:49pm

बहुत खूब...

Comment by vijay nikore on February 2, 2018 at 1:14pm

अच्छी गज़ल के लिए दिल से बधाई, आदरणीय राम अवध जी

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on February 1, 2018 at 5:59pm

आदर्णीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी ग़ज़ल सराहना के लिये सादर आभार।

Comment by नाथ सोनांचली on February 1, 2018 at 3:57am

आद0 राम अवध विश्वकर्मा जीसादर अभिवादन। बढिया ग़ज़ल कही आपने। शैर दर शैर मुबारक पेश करता हूँ।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on January 31, 2018 at 9:40pm

आदर्णीय तस्दीक़ अहमद साहब आपके द्वारा की गई सारगर्भित टिप्पणी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया। दशतार  की जगह दस्तार कर लूँँगा।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 31, 2018 at 9:21pm

जनाब राम अवध साहिब , उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।

शेर4 में  सानी मिसरे में मेरे की जगह मगर  करने से और अच्छा हो सकता है  , सही शब्द  दस्तार  है   दशतार  नहीं  , देखियेगा ।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on January 30, 2018 at 8:46pm

ग़ज़ल सराहना के लिये आदर्णीय तेज वीर सिंह जी सादर धन्यवाद

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on January 30, 2018 at 8:42pm

सादर आभार आदर्णीय उसमानी साहब हौसलाअफजाई के लिये

Comment by TEJ VEER SINGH on January 30, 2018 at 8:38pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राम अवध विश्वकर्मा जी।बेहतरीन गज़ल।

जिसे दूर तक सूझता ही नहीं,
वही इस कबीले का सरदार है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service