For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझसे रूठा है कोई उसको मनाना होगा - सलीम रज़ा रीवा

2122 1122 1122 22 

-
मुझसे रूठा है कोई उसको मनाना होगा
भूल कर शिकवे-गिले दिल से लगाना होगा   
-
जिन चराग़ों से ज़माने में उजाला फैले 
उन चराग़ों को हवाओ से बचाना होगा 
-
जिसकी ख़ुशबू से महक जाए ये दुनिया सारी
फूल गुलशन में कोई  ऐसा खिलाना होगा
-
मैं जहाँ छोड़ के आ जाऊंगा तेरी ख़ातिर 
शर्त ये है कि मेरा साथ निभाना होगा 
-
दिल के रिश्तों को अगर प्यार से जोड़ा जाए
एक बंधन में बँधा सारा ज़माना होगा
-
कोई प्यारी सी ग़ज़ल कहना अगर चाहो तो 
इश्क़ में डूबे ख़्यालात को लाना होगा
-
चाहते हो जो मिटे सब के दिलों से नफ़रत
दुश्मनों को भी रज़ा दोस्त बनाना होगा
-

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 941

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on November 15, 2017 at 10:33pm
आदरणीय गुरुप्रीत सिंह जी ,
ग़ज़ल पर आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया अदा कर रहा हूं.
Comment by SALIM RAZA REWA on November 15, 2017 at 10:31pm
आदरणीय अलोक जी,
आपकी महब्बत सलामत रहे,
आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
Comment by SALIM RAZA REWA on November 15, 2017 at 10:30pm
आदरणीय अजय तिवारी जी,
आपकी महब्बत से बहुत कुछ सीखने को मिलता है, आ. भंडारी जी के ग़ज़ल में आपकी दलील से बहुत कुछ सीखने को मिला. मैंने आ. भंडारी जी के पोस्ट में लिखा भी था. आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया.
Comment by SALIM RAZA REWA on November 15, 2017 at 10:27pm
जनाब अफरोज साहब,
ग़ज़ल में आपके मशविरे के मुताबिक़ तब्दीली कर दी गई है, आपकी महब्बत सलामत रहे दिल से शुक्रिया,
Comment by Alok Rawat on November 15, 2017 at 3:17pm

जिन चराग़ों से ज़माने में उजाला फैले 
उन चराग़ों को हवाओ से बचाना होगा 

आदरणीय  सलीम साहब बहुत अच्छी  ग़ज़ल हुई है।  मुबारकबाद। ये शेर वाक़ई बहुत अच्छा है। 

Comment by Ajay Tiwari on November 15, 2017 at 2:01pm

आदरणीय सलीम साहब,

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक शुभकामनाएं.

आदरणीय अफरोज साहब का सुझाव अच्छा है लेकिन उसके लिए मक्ते के ऊला में 'कि' की जगह 'जो' रखना होगा.

सादर 

Comment by Afroz 'sahr' on November 14, 2017 at 1:57pm
बहुत ख़ूबसुरत ग़ज़ल के लिए आपको बहुत बधाई जनाब सलीम रज़ा साहिब,,,
मक्ते का सानी मिसरा यूँ भी किया जा सकता है।
"दुश्मनों को भी रज़ा दोस्त बनाना होगा",,,,,,,सादर,
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 14, 2017 at 1:04pm
अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय..

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 14, 2017 at 12:31pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद हाजिर है बहुत बहुत मुबारक 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 14, 2017 at 11:00am

हार्दिक बधाई आदरणीय सलीम रज़ा रीवा साहब जी।आदाब।बेहतरीन गज़ल।

चाहते हो कि मिटे सब के दिलों से नफ़रत
फिर तो दुश्मन को रज़ा दोस्त बनाना होगा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
4 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service