For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'आपके पास है जवाब कोई'

फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़इलुन/फेलुन


मेरे ग़म का है सद्दे बाब कोई
आपके पास है जवाब कोई

सुनके मेरी ग़ज़ल कहा उसने
अपने फ़न में है कामयाब कोई

उतनी भड़केगी आतिश-ए-उल्फ़त
जितना बरतेगा इज्तिनाब कोई

सबसे उनको छुपा के रखता हूँ
तोड़ डाले न मेरे ख़्वाब कोई

पास है जिनके दौलत-ए-ईमाँ
उन पर आता नहीं अज़ाब कोई

कोई उस पर यक़ी नहीं करता
अच्छा बन जाए जब ख़राब कोई

आमने सामने हों जब दोनों
उनको देखे कि माहताब कोई
-----
सद्दे बाब-बिल्कुल रोक देना
इज्तिनाब-पहलू बचना,परहेज़ करना ।

समर कबीर
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 946

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on November 20, 2017 at 10:51am
जनाब अजय तिवारी जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on November 20, 2017 at 10:50am
जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on November 20, 2017 at 10:47am
जनाब मोहित मिश्रा जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on November 20, 2017 at 10:46am
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on November 20, 2017 at 10:44am
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on November 20, 2017 at 10:43am
जनाब अफ़रोज़ साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 17, 2017 at 5:47am
वाह !
सबसे उनको छुपा के रखता हूँ
तोड़ डाले न मेरे ख़्वाब कोई।
बहुत खूब। हर शेऱ लाजवाब है। आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई , सादर।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 16, 2017 at 10:57am

मुहतरम जनाब समर कबीर  साहिबआदाब  , उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ 

Comment by नाथ सोनांचली on November 15, 2017 at 1:50pm
कोई उस पर यक़ी नहीं करता
अच्छा बन जाए जब ख़राब कोई
क्या शैर कहा आपने,बाकमाल, वाह वाह वाह

पास है जिनके दौलत-ए-ईमाँ
उन पर आता नहीं अज़ाब कोई
सच बयाँ करता उम्दा शैर, वाह,जिनके पास ईमान की दौलत,उन्हें फिर क्या तकलीफ, कोई अजाब उन्हें नहीं छू सकता।

उतनी भड़केगी आतिश-ए-उल्फ़त
जितना बरतेगा इज्तिनाब कोई

बहुत बेहतरीन, बहुत उम्दा वाह।
आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम, एक एक शैर को क्या कहूँ, यहाँ तो हर शैर पढ़कर वाह निकलता है,बार बार नमन आपको, इस ग़ज़ल पर। बहुत बहुत बधाई प्रस्तुति पर। बाकमाल ग़ज़ल
Comment by vijay nikore on November 14, 2017 at 7:17pm

हर शेर को पढ़ कर जब "वाह" निकले, और फिर एक और "वाह", ... उस गज़ल को क्या कहिए !
सच, बहुत ही लुत्फ़ मिला आपकी गज़ल को पढ़ कर। यह अनुभव बयाँ करना मुश्किल है, आदरणीय भाई समर जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"मौजूदा जीवन के यथार्थ को कुण्डलिया छ्ंद में बाँधने के लिए बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी. "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  ढीली मन की गाँठ को, कुछ तो रखना सीख।जब  चाहो  तब …"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"भाई शिज्जू जी, क्या ही कमाल के अश’आर निकाले हैं आपने. वाह वाह ...  किस एक की बात करूँ…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपके अभ्यास और इस हेतु लगन चकित करता है.  अच्छी गजल हुई है. इसे…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service