For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुख-शशि उज्ज्वल औ' धनु-भौहें

सरसी छंद

शिल्प-16,11 पर यति, चार चरण और दो पद, पदांत में गुरु-लघु।

भाव शब्द-कल गुरु लघु यति का, रखकर समुचित ध्यान।
दोहा तोटक रोला सरसी, रचिये छंद सुजान।।1।।

सोलह ग्यारह पर यति प्रति पद, गुरु-लघु पद के अंत।
चार चरण दो पद का सरसी, गायें सुर-नर-संत।।2।।

मुख-शशि उज्ज्वल औ' धनु-भौहें, तिरछे नैन-कटार।
हाय! डसें लट-अहि केशों के, हिय पर बारम्बार।।3।।

अरुण अधर-कोमल किसलय नव, दृग-मद पूर्ण तड़ाग।
यौवन-पुष्प खिला ज्यों लेकर घट भर मधुर पराग।।4।।

तेरी पायल की छम-छम में, वह जीवन संगीत।
छेड़ हृदय के तार जगाये, मन में पावन प्रीत।।5।।

हाय! चली बलखाकर गोरी, ज्यों मदमस्त गयंद।
पीछे भ्रमित भ्रमर पीने को, अधरों के मकरंद।।6।।

करके घायल नैनों से क्यों, लूट लिया हिय चैन।
बावरिया बन दिन भर भटकूँ, जाग बिताऊँ रैन।।7।।

शिक्षा से ही हो सकता है, उन्नत सकल समाज।
यह ही मूल प्रगति का जिससे, सुधरे कल औ' आज।।8।।

बचपन समय सुहाना सुखकर, खुशियों से भरपूर।
स्वार्थ द्वेष मद छल प्रपंच से, रहता है नित दूर।।9।।

मात-पिता की सेवा में है, हर तीरथ हर धाम।
स्नेह मान-सम्मान इन्हें दें, हर दिन सुबहो शाम।।10।।

मौलिक एवं अप्रकाशित
-रामबली गुप्ता

Views: 804

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on November 13, 2017 at 6:36pm
आलरणीय रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत ही संदेशप्रद और अनोखे सरसी छंद । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 13, 2017 at 6:04pm
आदरणीय रामबली जी आपकी सन्देश परक रचना पढ़कर बहुत खुशी मिली ,इस अनोखी रचना के लिए आपको बहुत बहुत मुबारकबाद
Comment by Samar kabeer on November 13, 2017 at 5:05pm
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,बहुत उम्दा सरसी छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by SALIM RAZA REWA on November 13, 2017 at 1:13pm

भाई रामबली जी ,
खूबसूरत रचना के लिए मुबारक़बाद।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
17 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service