For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -ये जिंदगी तो’ हो गयी’ दूभर कहे बगैर-कालीपद 'प्रसाद'

काफिया :अर ; रदीफ़ : कहे बगैर 

बह्र :२२१  २१२१  १२२१  २१२ (१)

ये जिंदगी तो’ हो गयी’ दूभर कहे बग़ैर 

आता सदा वही बुरा’ अवसर कहे बग़ैर |

बलमा नहीं गया कभी’ बाहर कहे बग़ैर

आता कभी नहीं यहाँ’, जाकर कहे बग़ैर |

है धर्म कर्म शील सभी व्यक्ति जागरूक

दिन रात परिक्रमा करे’ दिनकर कहे बग़ैर | 

दुर्बल के  क़र्ज़  मुक्ति  सभी होनी  चाहिए

क्यों ले ज़मीनदार सभी कर कहे बग़ैर |

सब धर्म पालते मे’रे’ साजन, मगर है’ दूर

आकर गए तमाम निभाकर, कहे बग़ैर |

मिलने में’ थी हँसी ख़ुशी’ अब चैन भी नहीं  

सुख चैन ले गए वो’ चुराकर कहे बग़ैर |

चौकस रहो सदा सभी’, गलती न कर कभी

बैरी चलाते’ विष बुझी’ नस्तर कहे बग़ैर |

जीवन सदैव धन्य हो’ चौकस विवेक हो

आती विपत्तियाँ सभी’ ‘अक्सर  कहे बग़ैर |  

मौलिक /अप्रकाशित 

Views: 569

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 13, 2017 at 9:35am
सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 13, 2017 at 9:04am
हार्दिक बधाई ।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 12, 2017 at 3:25pm

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्र जी सराहना के लिए सादर आभार आपका 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 12, 2017 at 3:24pm

आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी सराहना के लिए सादर आभार आपका 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 12, 2017 at 3:20pm

आदरणीय समर कबीर साहिब ,सादर आदाब , बारीकी से ग़ज़ल की तकती करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया अदा  करता हूँ \ आगे भी कृपा बनाये रखें | सुधार कर  दुबारा पेश करता हूँ|
 सादर  

Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 12, 2017 at 3:13pm

आदरणीय मुहम्मद आरिफ साहिब आदाब , आपने बजा फरमाया |उनको सुधारकर फिर पेश करता हूँ  |बहुत बहुत शुक्रिया आपका |

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 11, 2017 at 11:43am

आदरणीय कालीपद प्रसाद जी बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने इस रचनापर हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Gurpreet Singh jammu on November 10, 2017 at 3:15pm

बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय कालीपद जी ,, बधाई स्वीकार करें 

Comment by Samar kabeer on November 10, 2017 at 2:09pm
जनाब कालीपद प्रसाद मण्डल जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
चौथे शैर में 'माफ़'ग़लत है,सही शब्द है "मुआफ़" ।
मक़्ते में क़ाफ़िया ही नहीं है ।
Comment by Mohammed Arif on November 10, 2017 at 2:08pm
आदरणीय कालीपद प्रसाद जी आदाब, बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल । हर शे'र माक़ूल है ।शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें । कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ हैं जैसे-बगैर/बग़ैर, कर्ज/क़र्ज़,जमीनदार/ज़मींदार आदि ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
14 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई के साथ-साथ धन्यवाद भी। कि, इस पटल पर, इस खुले आयोजन…"
16 hours ago
Chetan Prakash commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"वाकई  खूबसूरत शुद्ध हिन्दी गजल हुई, आदरणीय! "कर्म हम रणछोड  के अनुसार भी करते…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service