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ग़ज़ल-चनावी दंगलों में स्याह धन की आजमाइश है- कालीपद 'प्रसाद'

काफिया : अन ; रफिफ ; की आजमाइश है

बहर : १२२२  १२२२  १२२२  १२२२

चनावी दंगलों में स्याह धन की आजमाइश है

इसी में रहनुमा के मन वचन की आजमाइश है |

सभी नेता किये दावा कि उनकी टोली’ जीतेगी   

अदालत में अभी तो अभिपतन की आजमाइश है |

खड़े हैं रहनुमा जनता के’ आँगन जोड़कर दो हाथ

चुने किसको, चुनावी अंजुमन की आजमाइश है |

लगे हैं आग भड़काने में’ स्वार्थी लोग दिन रात और

सरल मासूम जनता की सहन की आजमाइश है |

लिया है जन्म इस भारत में’,यह है माँ समान आराध्य

विवेकी कठघरा में हमवतन की आजमाइश है | 

ग़ज़ल नज़्म और वो किस्से लिखे जो भी अभी तक वे

महफ़िल में अब सभी माहिर सुखन की आजमाइश है |

चमनआरा कभी भी कुछ कसर छोड़ा नहीं है फिर

यही कहना सही होगा, चमन की आजमाइश है |

लहंगा और चोली सब हुई है जीर्ण नव युग में

नए युग में स्वदेशी पैरहन की आजमाइश है |

मदारी जिंदगी ‘काली’ नचाई है बहुत त्रय हद

जवानी प्रौढ़ बीते, चौथपन की आजमाइश है |

शब्दार्थ :- चमनआरा=माली
अभिपतन=पूर्ण पतन, पैरहन=वस्त्र      

त्रय हद= तीन भाग [बाल्य काल. यौवन काल

प्रौढ़ काल ] चौथपन= चौथा काल, बुढापा

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 15, 2017 at 7:42pm

आ समर कबीर साहिब ,आदाब, आपका इन्तिज़ार रहेगा

Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 15, 2017 at 7:40pm

आदरणीय सलीम रज़ा साहिब आदाब , हौला अफ्जाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया

Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 15, 2017 at 7:38pm

आदरणीय सुशील सरना जी हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया | सादर नमन

Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 15, 2017 at 7:36pm

आदरणीय महम्मद आरिफ साहिब हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया | आदाब

Comment by Samar kabeer on November 15, 2017 at 5:41pm
जनाब कालीपद प्रसाद मण्डल जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें,समय मिलते ही पुनः ग़ज़ल पर आता हूँ ।
Comment by SALIM RAZA REWA on November 15, 2017 at 4:14pm
आ. काली प्रसाद जी,
ग़ज़ल नज़्म और वो किस्से लिखे जो भी अभी तक वे
महफ़िल में अब सभी माहिर सुखन की आजमाइश है |
ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई,
Comment by Sushil Sarna on November 15, 2017 at 1:37pm

आदरणीय कालीपद जी इस शानदार ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई। 

Comment by Mohammed Arif on November 15, 2017 at 10:54am
आदरणीय कालीपद प्रसाद जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन कटाक्षपूर्ण और सामयिक ग़ज़ल । हर शे'र दर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

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