For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

काम करते करते अनायास ही सुनील का ध्यान दिवार पर टँगी हुई एक तस्वीर पर पड़ी : दो पहाड़ ,उसके बीच एक बड़ा सा फासला , उस पार जाने के लिए एक व्यक्ति की छलांग ! दूसरी ओर उसने अपनी नज़र अपने ऑफ़िस की टेबल पर डाली ,पैतीस साल पुरानी इस ऑफिस में जाने कितने उतार चढ़ाव के बीच उतने ही संख्या में सावन देख चूका था सुनील ।
आज वह एक बंगले का मालिक था , नौकर चाकर थे , पर यहाँ तक पहुँचने में उसको कभी याद नहीं आता कि उसने कभी छलांग लगायी हो , उसके इर्द गिर्द जो भी उसने बसाया था उसमें उसके पसीने की महक थी । अपने सोच में मगन था वह , उसे अपने पुराने दिन भी याद आ रहे थे जब एक दस बाय दस की खोली में वह अपने परिवार के साथ रहता था । वहां वह ख्वाब देखा करता था आसमान तक पहुँचने का , लगता था जैसे एक फर्लांग की दुरी पर कामयाबी उसके कदम चूमेगी । पर .....।
तभी किसीने उसके ऑफिस के कॅबिन के दरवाज़े पर किसीने क्नॉक किया ।"आंदर आ जाओ ", सुनील ने कहा ।
सामने उसका मेनेजर खडा था ,उसने बड़ी ही विनम्रता से कहा ,"सर चलिए आपका सब इंतज़ार कर रहे हैं ।"
आज उसकी कंपनी की 35 वी वर्षगांठ थी । सेलिब्रेशन ऊपर की मन्ज़िल पर था । लिफ़्ट के होते हुए भी उसने अपने मेनेजर से कहा ," मैं सीढ़ियों से आता हूँ ।"
आज इन सीढ़ियों पर चढ़ते हुए उसने अपने पीछे उस चित्र में बनी उस खाई को पार कर लिया था ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 641

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on October 25, 2017 at 9:09am

आ. कल्पना जी, अच्छी लघुकथा है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 24, 2017 at 3:40pm

नमस्ते आदरणीय समर भाई जी , कथा आपको पसंद आई सार्थक हुआ मेरा लिखना | सादर धन्यवाद् आपका |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 24, 2017 at 3:39pm

नमस्ते आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब ,सादर धन्यवाद आपको कथा पसंद आई सार्थक हुआ मेरा प्रयास |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 24, 2017 at 3:37pm

धन्यवाद  आदरणीया राजेश दी |

Comment by Samar kabeer on October 24, 2017 at 10:49am
बहना कल्पना भट्ट'रौनक़'जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on October 24, 2017 at 8:08am
आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब, अच्छा कथानक और बेहतरीन कथ्य का उभार । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 23, 2017 at 9:13pm

बहुत अच्छी लघु कथा है प्रिय कल्पना जी बहुत बहुत बधाई 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 23, 2017 at 7:26pm

सादर धन्यवाद् आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी | 

Comment by नाथ सोनांचली on October 23, 2017 at 8:36am
आद0 कल्पना भट्ट जी सादर अभिवादन। उम्दा लघुकथा के लिए बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
18 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
18 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service