For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपने अपने जज़्बात- लघुकथा

"हाय मम्मी, कैसी है, तबियत ठीक है ना तुम्हारी और दवा रोज ले रही हो ना", रोज के यही सवाल होते थे सिम्मी के और उसका रोज का जवाब।
"अब वीडियो काल किया है तो देख ही रही है मुझे, मैं एकदम ठीक हूँ। अच्छा अभी कितना बज रहा है वहाँ पर", उसने अपनी दीवाल घड़ी को देखते हुए पूछा।
"रोज तो बताती हूँ, बस साढ़े तीन घंटे आगे चलती है घड़ी यहाँ, अभी शाम के सिर्फ सात ही बजे हैं"।
"मुझे याद नहीं रहता, हमेशा उलझ जाती हूँ कि हमारी घड़ी आगे है या तुम्हारी। और मेहमान आए कि नहीं अभी, छोटू कैसा है", उसने भी सवाल किया, वह आज भी दामाद को मेहमान ही कहती है, भले पिछले दस साल से शहर मे रह रही है।
"सब लोग बढ़िया है, तुम मेहमान कहना कब छोड़ोगी, सुनते हैं तो हंसते हंसते लोट पोट हो जाते हैं", सिम्मी ने भी एक ठहाका लगाया।
वह भी मुस्कुरा दी, और पानी पीने लगी।
"अच्छा है हम व्रत नहीं रखते हैं, अब तो यहाँ जोबर्ग मे भी हिंदुस्तानी महिलाएं ये सब खूब करने लगी हैं। मुझे भी सब हर बार टोकती हैं", सिम्मी बोली।
उसको अब याद आया, कल तो व्रत है और कामवाली भी नहीं आएगी। कितना मार खाती है यह कामवाली अपने आदमी से लेकिन फिर भी उसी की लम्बी उम्र के लिए व्रत भी रखती है|
"जिसकी मरने की भी दुआ नहीं करती, उसके उम्र का क्या सोचना। अच्छा तुम बताओ सिम्मी, सच में कभी तुम्हारा मन नहीं करता यह सब करने का", उसने गहरी सांस लेते हुए पूछा|
एक ठहाका लगाया सिम्मी ने और मुस्कुराते हुए बोली "कमाल की बात करती हो मम्मी, मैं और यह सब| पापा का किस्सा न तो तुम भूल सकती हो और न मैं, किस हाल में छोड़ कर भाग गए थे हमको और क्या क्या नहीं कहा था तुम्हारे चरित्र के बारे में| और तुम तो हर पूजा और हर व्रत करती थी उनके लिए"|
"लेकिन हर आदमी एक जैसा तो नहीं होता ना, अब मेहमान को ही देख लो| मेरी तरफ से कोई पाबन्दी नहीं है इसकी, बाकी तुम खुद ही समझदार हो", उसने कुछ सोचते हुए कहा|
"छोडो इन बातों को, वैसे कल तो मैं चिकेन बना रही हूँ, तुम क्या खाओगी", सिम्मी ने पूछा|
"अरे कामवाली कल नहीं आएगी, उसने व्रत रखा हुआ है| लगता है ऐसे ही कुछ खा कर दिन बिताना होगा", उसने मुस्कुराते हुए कहा|
"देखना कहीं बिना खाये ही मत रह जाना वर्ना किसी की उम्र बढ़ जाएगी", सिम्मी ने भी कस के ठहाका लगाया|
मुस्कुराते हुए उसने कहा "मेहमान को मेरा आशीर्वाद कहना और छोटू को प्यार देना| अब एक बार यहाँ कुछ दिनों के लिए आने का भी सोचो"|
"जरूर मम्मी, अपना ध्यान रखना", कहते हुए सिम्मी ने फोन रख दिया| वह भी सर के नीचे हाथ रख कर आंखे मूंदे बिस्तर पर लेट गयी|
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 848

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on October 12, 2017 at 10:00am

बहुत बहुत आभार आ ब्रजेश कुमार बज्र जी 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 11, 2017 at 5:22pm
उम्दा पेशकस के लिए बधाई आदरणीय..
Comment by विनय कुमार on October 11, 2017 at 11:00am

बहुत बहुत आभार आ मोहतरम शेख शहज़ाद साहब 

Comment by विनय कुमार on October 11, 2017 at 10:59am

बहुत बहुत आभार आ मोहतरम समर कबीर साहब 

Comment by Samar kabeer on October 10, 2017 at 8:41pm
जनाब विनय कुमार जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 10, 2017 at 7:04pm
आपकी एक और बढ़िया प्रस्तुति। हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी।
Comment by विनय कुमार on October 10, 2017 at 1:50pm

बहुत बहुत आभार आ मोहम्मद आरिफ साहब इस उत्साहित करती टिपण्णी के लिए  

Comment by विनय कुमार on October 10, 2017 at 1:49pm

बहुत बहुत आभार आ सुरेंद्र नाथ सिंह जी इस उत्साहित करती टिपण्णी के लिए 

Comment by विनय कुमार on October 10, 2017 at 1:48pm

बहुत बहुत आभार आ कल्पना भट्ट जी, हक़ीक़त यही है 

Comment by Mohammed Arif on October 10, 2017 at 8:27am
आदरणीय दिनेश कुमार जी आदाब, बहुत ही अच्छा कथानक और कसावट भी । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"रिमझिम-रिमझिम बारिशें, मधुर हुई सौगात।  टप - टप  बूंदें  आ  गिरी,  बादलों…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
8 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service