For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल--बोझ उल्फ़त हो गई तो

ग़ज़ल--2122--2122
बोझ उल्फ़त हो गई तो...?
तेरी आदत हो गई तो...?

प्यार का इज़हार कर दूँ
तुझको नफ़रत हो गई तो...?

डर लगे है आशिक़ी से
यार आफ़त हो गई तो...?

मुझको कंकर तूने समझा
मेरी क़ीमत हो गई तो...?

दर्द अब भाने लगा है
दिल को राहत हो गई तो...?

बिन तेरे रुक जाए साँसे
ऐसी हालत हो गई तो...?

कितना ख़ुद को रोकता हूँ
मेरी ज़ुर्रत हो गई तो...?

बेवफ़ा ये तेरी यादें
दिल की दौलत हो गई तो...?

कर लिया मशरूफ ख़ुद को
मुझको फ़ुर्सत हो गई तो...?

दूर इतना भी न जा तू
तेरी चाहत हो गई तो...?

फ़स्ल-ए-उल्फ़त बो तो दी है
यार बरक़त हो गई तो...?

ज़िन्दगी तुझको कहा है
और तू रुख़्सत हो गई तो...?

वो मिले 'खुरशीद' तुझको
शाद किस्मत हो गई तो...?

'खुरशीद' खैराड़ी जोधपुर 9413408422
मौलिक और अप्रकाशित ।

मशरूफ-- व्यस्त(busy)
शाद--खुश/प्रसन्न

Views: 743

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on October 8, 2017 at 4:08pm

जनाब ख़ुर्शीद साहिब आदाब ! सुन्दर रचना की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें. सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 8, 2017 at 11:13am

आदरणीय खुर्शीद भाई के ग़ज़लें रूहानी खुश्बुओं से तर हुआ करती हैं. येग़ज़ल भी अपवाद नहीं है. दाद पेश है. 

लेकिन इस ग़ज़ल के हवाले से एक बात ज़रूर साझा करना चाहूँगा. 

जब ग़ज़ल की बहर सिमेट्रिक रुक्नों पर हो, जैसी कि इस ग़ज़ल की है जहाँ फ़ाइलातुन की दो आवृति है, वहाँ शिकस्ते ना’रवा के प्रति चौकस रहना चाहिए. वर्ना लयभंगता का दोष वाचन के आड़े आता है. 

उदाहरणार्थ, निम्नलिखित मिसरों को लिया जाय -  

प्यार का इज़हार कर दूँ 

दर्द अब भाने लगा है
कर लिया मशरूफ ख़ुद को................ मसरूफ़ 
ज़िन्दगी तुझको कहा है
वो मिले 'खुरशीद' तुझको 

इन सभी मिसरों में शिकस्ते ना’रवा का दोष है. और क्रमशः इज़हार, भाने, मसरूफ़, तुझको, खुरशीद जैसे शब्दों को बहर में रहने और गेयता को निभाने के लिए दो भागों में तोड़ना पड़ रहा है. 

विश्वास है, मैं समझा पाया. 

शुभेच्छाएँ 

Comment by नाथ सोनांचली on October 8, 2017 at 7:36am
आदरणीय खुर्शीद जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन, लाजवाब ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें
Comment by Niraj Kumar on October 7, 2017 at 6:18pm

जनाब खुर्शीद साहब,

बेहतर लहजे के साथ बेहतर ग़ज़ल. दाद के साथ मुब्नारकबाद.

सादर 

Comment by surender insan on October 6, 2017 at 8:29pm
जनाब ख़ुर्शीद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दिली मुबारकबाद पेश करता हूँ जी।
Comment by Mohammed Arif on October 6, 2017 at 8:09pm
आदरणीय खुर्शीद जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन, लाजवाब ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
नोट;- कितना अच्छा हो अगर आप जैसे ग़ज़लगो साहित्य की अन्य विधाओं पर अपनी सृजनशीलता का परिचय देने वालों को भी नहीं पनी टिप्पणियों पोषित कर उनका हौसला बढ़ाएँ ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 6, 2017 at 5:37pm
जनाब खुर्शीद साहिब ,अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद कुबूल फरमाएं।
जुर्रत --जुरअत
Comment by राज़ नवादवी on October 6, 2017 at 4:32pm

जनाब खुर्शीद,अच्छी ग़ज़ल हुई है,हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on October 6, 2017 at 3:08pm
जनाब ख़ुर्शीद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
'मशरुफ़्'शब्द के बारे में अफ़रोज़ साहिब बता ही चुके हैं ।
Comment by SALIM RAZA REWA on October 6, 2017 at 1:04pm
जनाब ख़ुर्शीद साहिब बहुत अच्छी ग़ज़ल है मुबारक़बाद.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service