For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुंदर से बाग़ के एक कोने में एक अधकटा पेड़ लोगों को आकर्षित तो कर रहा था पर उसकी बदसूरती पर लोग तरह तरह की बातें कर रहे थे |

और क्यों न हो चर्चा उसकी , एक बड़ा सा पेड़ जिसकी छाँव में कभी लोग बैठा करते थे आज उसकी ऐसी हालत ! एक तरफ से लग रहा थे मानो किसीने उसकी टहनियों को तोड़ कर उसकी खूबसूरती को उससे छीन लिया था |" पर ऐसा कोई क्यों करेगा ?" एक राहगीर ने दूसरे से पूछा |
" मुझे लगता है यह काम माली का ही होगा | बड़ा पागल होगा यह माली , पेड़ की कटाई करनी हो तो ढंग से तो करता |" मुँह बिचकाते हुए दूसरे ने उत्तर दिया |
पेड़ बेचारा लाचार सा सबकी बातों को सुन रहा था , आज उसको एहसास हो रहा था कि कैसे एक समय पर उसको खुद पर घमंड होता था जब उसकी छाँव में पल रहे छोटे पौधे मुरझा कर बिखर जाते थे और वह हवा से बातें करता हुआ उनपर हँसता रहता था | आज उसके सामने छोटे पौधे हंस रहे थे और वह अध्कटा सा एक ओर खडा था | 
हवा भी थी, बातें भी थी बस नहीं थी तो पेड़ की सब शाखें , जो थोड़ी बहुत थी वो भी मानो हंस रही थी उसपर , और तेज़ रफ़्तार से चल रही हवा में खुद को उस पेड़ से अलग होने के लिए प्रयासरत थी |
लोगों का आना जाना बरकरार था , पर आज इस पेड़ के नीचें छाँव नहीं थी | असहाय सा पेड़ आखिर क्या करे ?

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 668

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Afroz 'sahr' on September 18, 2017 at 4:12pm
आदरणीया कल्पना जी अति सुंदर लघू कथा कही आपने आपकी लघू कथा अपने उद्देश्य में सफल है !ह्रदय तल से बधाई स्वीकर करें !सादर
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 18, 2017 at 3:43pm

 आ0. कल्पना जी,खूबसूरत लघु कथा के लिए बधाई,

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 17, 2017 at 5:56pm

धन्यवाद आदरणीय सलीम रज़ा जी |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 17, 2017 at 5:55pm

आदरणीय सिज्जू भाई आप भी कह सकते हो जो आपको लगा इस कथा में :) आपका दिल से धन्यवाद |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 17, 2017 at 5:54pm

धन्यवाद आदरणीय नीता दी |

Comment by SALIM RAZA REWA on September 16, 2017 at 7:10pm
आ. कल्पना जी,
सीख देती हुई खूबसूरत लघु कथा के लिए बधाई,

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 16, 2017 at 6:04pm

लघुकथा के शिल्प के बारे में तो गुणीजन कहेंगे, आप मेरी तरफ से बधाई स्वीकार करें

Comment by Nita Kasar on September 16, 2017 at 3:10pm
पीड़ा पेड की ।घमंड का घड़ा ख़ाली ही हो जाता है ।बाकी आद० समर कबीर जी कह चुके है बधाई आद० कल्पना बहना ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 14, 2017 at 10:52pm

जी भाई जी आप सही कह रहे हैं | सादर |

Comment by Samar kabeer on September 14, 2017 at 7:38pm
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,लघुकथा का प्रयास अच्छा हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
कुछ बातों की तरफ़ ध्यान दिलाना चाहूँगा,एक तो ये कि कहीं आपने अधकटा पेड़ लिखा है,और कहीं ठूंठ,//नहीं थीं तो पेड़ की सब शाख़ें,जो थोड़ी बहुत थीं//जब कोई बड़ा पेड़ आधा काटा जाता है तो उसकी जितनी शाख़ें होती हैं वो भी उसके कटे हुए हिस्से में होती हैं,इन बिंदुओं पर थोड़ा ध्यान देने की आवश्यकता है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service