For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आएं न आएं वो लेकिन - सलीम रज़ा रीवा

22 22 22 22 22 22 22 2

.........................................

आएं न आएं वो  लेकिन हम आस लगाए .बैठे हैं 

दिन ढलते ही शमए मुहब्बत घर में जलाए बैठे हैं 

..

आख़िर दिल की बात ज़ुबाँ तकआये तो कैसेआये 

अपनी  ख़ामोशी  में  वो  सब  राज़  छुपाये बैठे हैं 

..

हैरत है जो प्यार मुहब्बत से ना वाकिफ़ हैं यारो 

वह  इल्ज़ाम दग़ाबाज़ी का मुझ पे लगाए  बैठे हैं

..

कौन है अपना कौन पराया कैसे पहचाने कोई 

चहरों पर  तो फ़र्ज़ी चहरे लोग सजाए  बैठे  हैं

..

परदेसी और बेगानों की बात करें आख़िर कैसे 

हम तो अपनों  से  ही कितने धोके खाए बैठे हैं 

..

मुझको ये उम्मीद नहीं थी जाएंगे इक रोज़ बदल 

जिनके प्यार में हम अपना घरबार लुटाए बैठे हैं 

.......................................

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 955

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on September 28, 2017 at 8:43am
आदरणीय गिरिराज जी,
आपकी नज़रे इनायत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया, आपकी मुहब्बत सलामत रहे,
Comment by SALIM RAZA REWA on September 28, 2017 at 8:42am
आदरणीय रवि शुक्ला जी,
आपकी मुहब्बत के लिए शुक्रिया,
Comment by SALIM RAZA REWA on September 27, 2017 at 10:25pm
जनाब अफरोज साहिब,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया,
Comment by Ravi Shukla on September 27, 2017 at 12:55pm
आदरणीय सलीम जी बहुत ही अच्छी ग़ज़ल कही शेर दर शेर मुबारकबाद कुबूल करें
Comment by SALIM RAZA REWA on September 27, 2017 at 12:22pm
आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया,
Comment by Afroz 'sahr' on September 27, 2017 at 11:24am
आदरणीय सलीम साहिब ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद पेश करता हूँ।
Comment by SALIM RAZA REWA on September 27, 2017 at 4:11am
आदरणीय रामबलि गुप्ता जी,
आपकी नज़रे इनायत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया,
Comment by SALIM RAZA REWA on September 27, 2017 at 4:10am
आदरणीय गिरिराज जी,
आपकी नज़रे इनायत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया,
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 26, 2017 at 10:40pm
आदरणीय सलीम जी बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई..सादर
Comment by रामबली गुप्ता on September 26, 2017 at 9:23pm
बहुत खूब भाई सलीम रज़ा जी। बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई है। सादर बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
4 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
7 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service