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22 22 22 22
ताप मसीहे हरने आते
प्यार दिलों में भरने आते।1

फूल टपकते झोली-झोली
बेमौसम वे मरने आते।2

पाँव पखाड़ेंगे बाबा के
नेता जी बस धरने आते।3

पाँच बरस अहिवात बनें बस
नेता नर को वरने आते।4

सूखी प्यासी रहती धरती
बादल प्लावित करने आते।5

हार गये जो दाँव जुआरी
जन-मंडल में तरने आते।6

बिन पानी के जो बदरा,वे
बेमतलब के टरने आते।7
@मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Manan Kumar singh on September 30, 2017 at 8:49pm
आदरणीय महेंद्र जी,आभारी हूँ।
Comment by Mahendra Kumar on September 5, 2017 at 4:20pm

आदरणीय मनन जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Manan Kumar singh on September 2, 2017 at 8:09pm
आदरणीय गिरिराज भाई,आभारी हूँ मैं।
Comment by Manan Kumar singh on September 2, 2017 at 8:09pm
आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी,आपका बहुत बहुत शुक्रिया।

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Comment by गिरिराज भंडारी on September 2, 2017 at 6:56pm

आदरणीय मनन भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें

Comment by नाथ सोनांचली on September 2, 2017 at 5:43am
आदरणीय मनन कुमार जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Manan Kumar singh on September 1, 2017 at 9:12pm
आभारी हूँ आदरणीय समर साहिब।जुआरी ही होगा,टंकण जनित त्रुटि है,निराकरण करूँगा,सादर
Comment by Manan Kumar singh on September 1, 2017 at 9:11pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय आरिफ भाई।
Comment by Mohammed Arif on September 1, 2017 at 2:49pm
आदरणीय मनन कुमार जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की बात का संज्ञान लें ।
Comment by Samar kabeer on September 1, 2017 at 2:42pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।
6ठे शैर में 'जुआड़ी' या "जुआरी" ?

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