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गजल(गदहा बोला......)

22 22 22 22
*---------------*
गदहा बोला--- हाँक लगायें,
आओ लोगों को भड़कायें।1

मोर बना बैठा है राजा
उसकी कुर्सी को खिसकायें।2

हम भी हो सकते हैं मंत्री
आगे बढ़कर हाथ मिलायें।3

भैंस भली,जब अक्ल मरी हो
कुत्तों को माला पहनायें।4

'चीं चीं' कर दे सकती, चलकर,
'सोन चिरैया' को सहलायें।5

'नीति' नहीं अब प्रीत समझती
कितनी बार गले लग जायें?6

'भालू-कालू' !भेद भुलाकर
आओ एक जमात बनायें।7

जिससे लड़कर मीर बने हैं
उसकी झोली में गिर जायें।8

कुर्सी किस्मत से मिलती है
आओ फिर से पाँव बढ़ायें।9
@'मौलिक व अप्रकाशित'

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Comment

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Comment by नाथ सोनांचली on July 8, 2017 at 3:38am
आद0 मनन कुमार जी सादर अभिवादन, अच्छी गजल इशारों इशारों में कटाक्ष करती हुई,बधाई स्वीकारें।सादर
Comment by Manan Kumar singh on July 7, 2017 at 11:19pm
आदरणीय समर जी,आदाब व शुक्रिया आपका।हास्य से जुड़ा व्यंग्य भी मुखर होता है, ऐसी रचनाओं में।रही बात जमात की ,तो यह शब्द अब चल निकला है,सादर।
Comment by Manan Kumar singh on July 7, 2017 at 11:17pm
आदरणीया प्राची जी,आपका बहुत बहुत आभार।लगे चाहे जी,पर गजल बन गयी है अपने स्वतः प्रवाह में ही,सादर।
Comment by Manan Kumar singh on July 7, 2017 at 11:16pm
आदरणीय आरिफ भाई,आपका शुक्रिया।
Comment by Samar kabeer on July 7, 2017 at 2:33pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,जानवरों को इस्तेआरा बनाकर ग़ज़ल कहने का प्रयास अच्छा हुआ है,लेकिन ऐसी ग़ज़लें हास्य से बहुत नज़दीक लगती हैं,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
सातवें शैर में 'जमात'शब्द ग़लत है,सही शब्द है "जमाअत",देखियेगा ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 7, 2017 at 1:55pm

ब हुत दिमाग लगा कर लिखी गयी शानदार ग़ज़ल 

हर शेर इंगित में बड़ी बात कहता हुआ 

हार्दिक बधाई

Comment by Mohammed Arif on July 7, 2017 at 11:21am
आदरणीय मनन कुमार जी आदाब, बहुत कुछ इशारों ही इशारों में बयाँ कर दिया । अच्छे कटाक्ष । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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